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महावीर : परिचय और वाणी कहते हैं। महावीर का अन्हित अतिम मजिल है । व्यक्तिः भगवान् तव होना जत्र वह वहाँ पहुँच जाता है जिसने आगे और कोई याता नहीं है। दूसरे धर्मों का भगवान् आरम्भ है, वहां है जहां दुनिया शुर होती है। महावीर फा नगवान वहाँ है जहां दुनिया समाप्त होती है। सब कहते है कि दुनिया को बनानेवाला भगवान् है; महावीर कहते हैं कि दुनिया को पार कर जानेवाला भगवान् है । दुनिया का भगवान् वीज की तरह है, महावीर का गगवान् फूल की तरर ।
महावीर यह नहीं कहते कि शाम्प्र में लिसा हा धर्म लोकोत्तम है। वेदो को माननेवाला कहता है कि उनमे प्रस्पित धर्म ही लोग मे उतम है। पाविल और कुरान को माननेवाले लोग बाइबिल तया कुरान मे पर पित धर्म को ही लोलोनम मानते है। लेकिन महावीर कहते हैं-केवलिपनत्तो धम्मो नोगत्तमो । नही, शान्त्र मे कहा हुआ धर्म लोकोत्तम नहीं है। केवल जान के क्षण मे जो करता है वही प्ठ है, जीवन्त है। महावीर ने कभी नहीं कहा कि गास्नो मे प्ररपित धर्म लोकोत्तम है। ऐसा भी नहीं कहा कि मेरे गान्त्र मे कहा हुना धर्म श्रेष्ठ है। उन्होंने खुद कोई शास्त्र निर्मित नहीं किया। केवलिप्ररपित जो धर्म है वह शास्त्र में लिस लिया गया है। इसलिए जैन उस शास्त्र को सिर पर वैसे ही टोये चलते है जने को कुरान या गीता को ढोता है। यह महावीर के प्रति ज्यादती है। उन्होने कभी कोई जान्न निर्मित नहीं किया, कभी कुछ नही लिखवाया। उनके मरने के सैकडो वर्ष बाद उनके वचन लिखे गए । सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि महावीर बरावर मीन रहे। अत उनकी जो वाणी है वह कही हुई नहीं है, सुनी हुई है। महावीर का जो धर्मप्ररूपण है वह मौन सम्प्रेपण है, टेलिपथिक ट्रासमिशन है । वात पुराण-जैमी जत्र लगती है, लेकिन उसे वैज्ञानिक आधार मिलते चले जा रहे ह । महावीर जब बोलने थे तब वे वोलते नहीं थे, बैठते थे। न तो वे होठ का उपयोग करते थे और न कठ का। उनके अन्तर-आकाश मे ध्वनि जरुर गूंजती थी।
( १६ ) मैं कहता हूँ कि महावीर बोले नही, मुने गए। वे मान बैठे और पास वैठे लोगो ने उन्हे सुना । जो जिस भाषा मे उन्हे समझ सकता था, उमने उस भापा मे ही सुना और समझा। वहाँ पशु भी इकठे थे और पौधे भी खडे थे । कथा कहती है कि उन्होने भी सुना । वेक्सटर भी तो कहता है कि पौधो के भाव होते हैं और वे समझते है आपकी भावनाएँ । पौधो को प्रेम करनेवाला व्यक्ति जब दुखी होता है तव वे भी दुखी होते है और जब उसके घर मे उत्सव मनाया जाता है तब वे प्रफुल्लित होते है । जब घर मे कोई मर जाता है तब वे मातम मनाते है, जब उनका प्रेमी उनके पास खडा होता है तव उनमे आनन्द की धाराएँ बहती है। अचेतन पर जो वैज्ञानिक प्रयोग किए जा रहे है उन्होने यह सिद्ध कर दिया है कि अपने अचेतन मे हम कोई भी भापा समझ सकते है। यदि आपको गहन रूप से सम्मोहित किया जाय,