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महावीर परिचय और वाणी
२२९ आप यह जानकर हैरान हागे कि गहन सम्मोहन, निद्रा, ध्यान और श्रद्धा मे ई० जी० नामक मशीन एक मा ग्राफ बनाती है। श्रद्धा से भरा हुआ चित उसी नाति मी अवस्था में होता है जिस गान्ति की अवम्या म वह गहन ध्यान में होता है। आपको टेलिपथिय जगत म प्रवेश कराने म मन अयोगी सिद्ध होता है। अगर आप हृदय से अपने को छोड पाएँ और उस गदराई स कह पाएँ जहा सब आपकी अचेतना म डूब जाता है--
नमा मरिहताण । नमा सिद्धाण । नमो आयरियाण। नमा उवयायाण।
नमा लाए स वसाहूण' । तब आप अपा अनुभव से कह पाएंगे-एसो पच नमुक्तारो, स पावप्पणासणो।'