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महावीर परिचय और वाणी अदालता को समझना चाहिए कि यह थोडा आगे बढ़ गया प्रेम है। यह सम्बध जरा अधिक घनिष्ठ हो गया है। दो शरीरा के बीच में जो सम्म होता है, वह चाहे छुरा मारो का हो या चुसन आलिंगन वा, उसम कोई बुनियादी फर नहीं है। छुरा भोंने माजा रस है वह भी यौन का सुख है। असल म सम्भोग का सुप दूमर के शरीर म प्रवेश करने का ही सुप है।
यदि आप किसी वज्ञानिव को प्रयोगशाला म जाए तो वहां आपको यह देखकर हैरानी होगी कि यद्यपि जनगिनत चूहे मारे जा रह हैं, मेढा काट जा रहे है कितने ही जानवर उल्टे-सीधे लटकाए जा रह हैं क्तिी जानवर बहो। पडे है फिरी ‘वनानिक को पक्का सयाल है कि वह हिंसा नहीं कर रहा है। उसका खयाल है कि रह जादमी के हित म प्रयाग कर रहा है। बस ऐसी ही हिंमा अहिंसा का मुखोटा पहन लेनी है। जब आप किसी से प्रेम परत हैं तर उम समय आपको इस बात का गयार करना चाहिए कि आपके भीतर की हिंसा ही तो प्रम की गल हा वन जाती? यदि बा जाती है तो वह खतरनाक स सतरनार पावर है, क्याकि उसका म्मरण जाना रहत मुश्किल है।
स्वप में उत्पन हो रही चेतना नहिंसा बन जाती है दूसरे स उत्पन हो रही चाना हिंसा या जाती है। लेकिन हम दूसरे का ही पता है। अगर मरी मानी भी पाई शप' है तो वह आपके द्वारा दूसरे के द्वारानी गई शकल है। इसलिए मैं सता डरा रहेगा। यही आपये मन म मेरे प्रति बुरा सयाल 7 आ जाय । असवारा पी बटिंग पार पाडयर मी अपना चेहरा बनाया है। आपरी बातें सुपर, आपको धारणाएं इक्टठी परके, मैंने अपनी प्रतिमा बनाई है। यदि में पिता हूँ तो मुरे पिता होने का पता नहीं है। किती वटा हान भर या पता है। सन्न मनी मैं दुसरा को देखता है, जागने में भी दुमरे ही निसाई पडत हैं। ध्यान के शिा घटना हूँ ता दूमरा वा ही ध्यान करता है। जिस दिन में स्वयं को दान रगा उग लिन आप दमरे की तरह दिखाई पड़ा पद हो जायगे।
महावीर जव चौटो ग बचकर परत हैं तो इसका कारण वह नहा, तो आप चोरी से वापर चरने में रहता है। आप जर पाटो रा पचार नगे हैं तब भार चाटी सवार चल्न है। महावार जब चाटी से ववार रते है तर जपा शपर पा र T पर जाए सलिल पर रन हैं। महावार या चार
ना हिसा हे आपरा वा हिमा। राप द्वारा वचरर म एगग मोद 21 आप पाटीमवर चरत है Tulfr आप उसे बान पीमिता है और Frगनित है कि आप उरल .fr पहा पाए न रग जाप चाटीन मरास र रस नाना पहुँ। पानी में आपरा का प्रयाजा री है, मारा पासे हे जगत म मूगरम हमारा पाला है वह शरीर पाही पाराला है।