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महावीर : परिचय और वाणी
करता है। इसलिए सभी पूर्वग्रहों से मुक्त होकर मैने महावीर के सम्बन्ध में नर्चा की। किन्ही सूचनाओ, धारणाओ अथवा नापदो के नाधार पर उन्हें नहीं कसा। प्रेम के दर्पण मे वे जैसे दीस पडे देसी वात मने नही। अपनी बातो में मैं अनिवार्य रूप से उतना ही मौजूद हूं जितना महावीर मौजूद है। उनमे हम दोनो है। यहां } मैं तो उस महावीर की बात कर रहा हूँ जिसमे में भी सम्मिलित हूँ, जो मेरे लिए (एक आत्मगत अनुभूति बन गया है।