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महावीर : परिचय और वाणी
उसका सहायक हो जाता है, सारे जगत् की नहायता उसकी ओर चुम्बक की ओर खिचने लगती है । क्यो खिचने लगती है यह सवाल नहीं, नियम है । नियम यही है कि असहाय होते ही कोई व्यक्ति वेसहारा नही रह जाना- नव महारे उसके हो जाते है । असुरक्षित चित्त को ही परमात्मा की सुरक्षा उपलब्ध होती है । जो खुद ही अपनी सुरक्षा कर लेता है, उसे परमात्मा की कोई सुरक्षा उपलब्ध नहीं होती । एक दिन एक घटना घटी । कृष्ण ने दो-चार कोर लेकर थाली हटा दी और वे भाग खडे हुए। रुक्मिणी ने साञ्चर्य पूछा- आपको क्या हो गया है, कहाँ जा रहे है ? कृष्ण ने रुक्मिणी की वात न सुनी। वे दरवाजे की ओर उन प्रकार दौडे मानो कही आग लग गई हो। फिर ठिठक गए और वापस लौटकर भोजन करने लगे । रुक्मिणी के विस्मय का पारावार न था । कृष्ण ने कहा कि मेरा एक भक्त रास्ते मे गुजर रहा था और लोग उसे पत्थरो ने मार रहे थे । वह मजीर बजाए चला जा रहा था, मेरा ही गीत गा रहा था । तनिक भी क्रोध न था उसके मन मे । वह तो सिर्फ देख रहा था उन्हें कि वे पत्थर फेंक रहे हैं । खून की धारा बह रही थी । इसलिए मेरे जाने की जरूरत पड गई । रुक्मिणी ने पूछा कि फिर आप लोट क्यो आए ? कृष्ण ने कहा कि जब तक मैं दरवाजे पर पहुंचा तब तक मेरे भक्त ने मजीर फेक डाला और उसने एक ईंट उठा ली— उसने अपना इन्तजाम खुद कर लिया । अव मेरी कोई जरूरत न रह गई । जव व्यक्ति अपना इन्तजाम स्वयं कर लेता है। तव जीवन की शक्तियो के लिए कोई उपाय नही रह जाता । सन्यासी का मतलब निर्फ इतना है कि कोई अपने लिए इन्तजाम नही करता, सब कुछ छोड़कर असुरक्षा मे खडा हो जाता है | मलूक ने कहा है कि पछी काम नही करते, अजगर चाकरी नही करता, सव के देने वाले है राम । यह आलस्य की शिक्षा नहीं है, बहुत गहरे मे असुरक्षा के स्वीकार की शिक्षा है ।
ऐसी ही असुरक्षा मे महावीर असग हो गए है । न कोई सगी है न कोई साथी । जीवन की गहराइयो मे कही कोई गारवत नियमो की व्यवस्था भी है । उनमे एक नियम यह भी है कि आप जिसके पीछे भागेगे, वह आप से मांगता चला जायगा और free मोह त्यागेगे वह आपके पीछे आता रहेगा । जो घन छोड़ता है, उस पर घन
वर्षा होती है, जो मान त्यागता है, उस पर मान की वर्षा होती है। जो रक्ष छोड़ता है, उसे सुरक्षा उपलब्ध होती है । जो सब कुछ त्याग देता है, उसे सब कुछ उपलब्ध हो जाता है | वह एक घर छोड़ता है, लेकिन सब घर उसके हो जाते हैं । जब वह एक प्रेमी की फिक्र छोडता है तव शायद सबका प्रेम उसका हो जाता है । इन्द्र और महावीर की परस्पर वार्ता की बात कोई ऐतिहासिक घटना नही है । यह एक कहानी है । इसका उल्लेख इसलिए होता है कि हम कहानियाँ ही समझ पाते हैं और वह भी जब उन्हें ऐतिहासिक कहा जाता है । जो भी अद्भुत व्यक्ति