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महावार परिचय और पा
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नगर उपरारा हा दो
●पादन गए।
महाराज
*শা। निरीहै उसे पा पहा है। हम
महारा
समय है आरक
पोरगा नई ताप ही जाय । म जसरी है यह
माया । उपर
है।
गवार
समय पर
हा मात्र
उसा मात्र है। जीना होता है है। जिन पागा छाया नही करना पता है पाडिया कामानि वो पाप है । यलोड़िया मी बातें है। यह दो पर है जिस
महावीर
उन
पर भाव विग हो जाता है जो कि महावार जाते हैं। विवाद में उस रास्य वा मेटलिटर ( उप्रेश) एज नहही कुछ हो जाता है । उपहरण मे लिए हाइड्रो और ऑन आपना या आसनास आए ताप अलग अलग ही रहेंगे, घीस विजय घमर जाय तो दोना मिल जायेंगे और इससे पार हो जायगा । बिजयी गोई योगान नहीं करती, पि उपनी मौजूदगी मे ही ये मित्र जात है। जिस भांति नौनिन तर पर परिटिक एजेक्ट है उसी भोति आमिन त पर महावीर ज लाग हा निरीगि मोजमा वाम रती है। मौजूदगी ही हजारा,
माना या जगा देता है स्वस्थ पर तो है ।
महावीर यी सेवा हीं पा यह जा रहा। इसे मिटाया नही जा मता । यह अभियोग तब तक रहेगा जब तक हम वेल तवि के पहचानते रहा। जिस दिन हम सौ सीए में पोट पहचानना शुरू कर देंगे उस दिन महावीर एक नई अथवा ऐराट होगे और उपर अभियोग लगावल लागदो पौडी हो जायेंगे ।
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लोग पूछते हैं कि यद्यपि पृथ्वी बहुत विशाल है फिर भी क्या कारण है कि दो तीन प्रदेशा में हो चौबीसा तीथकर हुए ? इमरे उत्तर में इतना ही कहना पर्याप्त