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महावीर परिचय और याणी महीं होता। अगर चावपि तीन जाता तापम मा जम नहीं हाना, पारि पापार ने भी वाय शरण म मिदात या न माना । उसने व 'गाना पित्रा मौन परा, पयादि कोई भरोसा नहा कि जा चुरा करता है, उस बुरा ही मिदेसा, एर कादमी बुग पर रहा है और मानाग रहा है। चार मा घर रहा है, अचार दुगी है। जीवन के सभी पम असम्बद्ध हैं। बुद्धिमान मागमा जानता है कि पिसी यम मारिसी पर से कोई सम्पय नहा।' पाप ये विगेप में ही महापीर पा यम गिलान है। पम भी विधान है और वह भी माप-वारण मिलात पर गहा है।
दिनान रहना है अमी याण, ममी पाय ! परतु जब तपारपित पामिर मद्दत है अभीमारा, पाप गरे उमम' ता पन या वानिए आधार रािसन जाता है। यह अतराल एक्दम घाट है। पाय और गरम भार पाई मायाप तो उसपे पौन म जनराल नहीं हो सपना, नयारि अन्तरार हो गया तो सम्दय मया रहा? चीजें ससम्बद्ध हो गई, अलग-अलग हो गए। यह पाया नतिम सो नै गोगरी, पानि व ममना नहा र जीया यो। ___ मरो अपनी समक्ष यह है कि प्रत्यापम तयार पापी है। जमेपनि मन पार किया ता में पोप परने में दाण में ही पाय पो भागना जाता है। मा नहा कि अगरे जम म इम। पर ागू पाप या सामोर पापाग मागना माय गाय पल रहा है। प्रोप विदा हा जाता है निवासिसि देर तर परता है। यनि दुग और आनन अगर इममिगे यो बार प्रिया परनी होगी तो वहीं पिगी पो हिसार जिताय रमन यो जात होगी। पर पर पेलिा प्रतीक्षा पापी जमरत नही ली। पर लारा मिला हमार पिता रमापा जात नही हाती ला मरावीर नगपार मानी बिल पर गर । सार जमजमान्तर मा रिािर गना है ता शिर नियामी पापा जारी है।शियन्ना पी जाल यहाँ हा नियम पाया जोगा रणारा पहना
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परमारमा पm ITTET पाना मालिपिरजा मार पुन-नाए पाहिला और erfrryr होरो माना।
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