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________________ ज्यों था त्यों ठहराया तुम्हारे समझाने वाले, सिखाने वाले, रजनीकांत, चाहते नहीं कि तुम सच में ही सच बोलो। वे भी यही चाहते हैं कि तुम भी अपने बेटों को सिखा जाना कि सच बोलो बेटा। अच्छे काम करो बेटा। हिंसा न करो। पाप न करो। और जी भर कर यही सब करना, क्योंकि इसके बिना कहीं पहंच न सकोगे। दो कौड़ी के हो जाओगे। मेरी यही झंझट रही अपने अध्यापकों से, अपने परिवार में। क्योंकि अगर मुझसे उन्होंने कहा, सच बोलो। तो मैं सच ही बोला। फिर उन्हें ही मुझे समझाना पड़ा कि ऐसा सच नहीं बोलते! तुम बिलकुल ही सच बोल देते हो! तो मैंने कहा, आपने कहा कि सच बोलो। तो सच बोल दिया। आप कहते हैं कि घर में नहीं हैं। तो मैंने जा कर कह दिया कि वे हैं तो घर में ही, लेकिन कहते हैं कि कह दो घर में नहीं हैं! आप ही कहते हैं, सच बोलो। अब मैं क्या करूं? या तो साफ-साफ कहो कि झूठ बोलो। या साफ-साफ कहो कि सच बोलो। या यूं कहो कि जब जैसा मौका हो, तब तैसा बोलो। मगर कुछ स्पष्ट तो करो बात। पति पत्नी झगड़ते रहेंगे और जैसे ही कोई मेहमान आया कि देखो मुस्कुरा रहे हैं एक दूसरे की तरफ देखकर। सुखी दांपत्य जीवन! और ऐसे एक दूसरे की जान खा रहे हैं! चंदूलाल एक होटल में गए और बेयरा से कहा कि भैया, जली-भुंजी रोटी ले आ। सब्जी में या तो नमक ज्यादा डाल या बिलकुल न डाल। सूप ऐसा बना कि जैसे जीवन-जल का स्वाद! बेयरा भी बहुत हैरान हुआ कि आप कह क्या रहे हैं! तू मेरी मान, चंदूलाल ने कहा, और फिर सामने बैठ कर मेरी खोपड़ी खा। उसने कहा, क्यों? उसने कहा, मुझे घर की बहुत याद आ रही है। पत्नी से बिछुड़े तीन महीने हो गए। गुलाबो की बहुत याद आ रही है। सामने बैठ जा और खोपड़ी खा। पचा, जितनी पचा सकता हो। सुखी दांपत्य जीवन चल रहा है सब जगह! वह सब धोखा है। मैंने सब तरह के दंपति देखे--सुख वगैरह कहीं भी नहीं। इसलिए हर कहानी खतम हो जाती है विवाह पर। फिल्में भी खतम हो जाती हैं। शहनाई बजने लगती है बिसमिल्ला खान की। और भांवर पड़ रही है। और फूल फेंके जा रहे हैं। और खेल खतम! क्योंकि फिर! फिर जो होता है, वह कहना ठीक नहीं। फिर तो दोनों सुख से रहने लगे! अब कहने को क्या बचा। जब दोनों सुख से ही रहने लगे, तो कहानी कहां बची! फिर तो दांपत्य जीवन का स्वर्गीय सुख लूटते हैं लोग। और बच्चे देखते हैं कि कैसा दांपत्य जीवन! क्योंकि बच्चों से कैसे छिपाओगे? देखते हैं कि मां बाप के पीछे पड़ी है चौबीस घंटे! बाप पिटाई कर रहा है मां की। मां पिटाई कर रही है, बाप की। यह सब चल रहा है! चंदूलाल अपने बेटे झुम्मन के साथ फिल्म देखने गया था। फिल्म में चुंबन लेने की तो मनाही है। मगर और चीजों की मनाही नहीं है। असली चीजों की मनाही नहीं है। एक पत्नी ने अपने पति को चांटा रसीद कर दिया। इसकी मनाही नहीं है। यह बड़ा मजा है! Page 84 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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