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ज्यों था त्यों ठहराया
स्वर्ग यानी क्या? स्वर्ग शब्द तो कंबल की तरह है। उसके भीतर जरा झांककर देखो, क्याक्या छिपा है। स्वर्ग तो पोटली है। पोटली खोलो, तब तुम समझोगे। स्वर्ग शब्द के धोखे में मत पड़ जाना। उसके भीतर क्या-क्या छिपा है! मुसलमानों के स्वर्ग में, चूंकि मुसलमान देशों में समलैंगिकता, होमोसेक्सुअलिटी बहुत प्रचलित रही है, तो वहां सुंदर लड़कियां ही नहीं मिलेंगी, सुंदर लड़के भी मिलेंगे! हरें ही नहीं--गिल्में भी! क्या गजब है! यहां जो समलैंगिकता में पड़ा है, उस जैसा पापी नहीं-- गिल्में भी! क्या गजब है! यहां जो समलैंगिकता में पड़ा है, उस जैसा पापी नहीं--विकृत। और स्वर्ग में देवता क्या कर रहे हैं? लड़कियां ही नहीं, लड़कों को भी भोग रहे हैं! शर्म भी नहीं आती! पूछो ईसाइयों से कि उनके स्वर्ग में क्या है? सारे स्वर्गों को छान डालो और तुम वही पाओगे, जो तुम्हारे संतों-महात्माओं ने यहां दबाया है, उसको ही वहां उभारा है। जो यहां छोड़ा है, उसको हजार-करोड़ गुना कर के वहां पा लेना चाहा है। हिंदू कहते हैं, यहां एक पैसे का दान करो; एक रुपए का दान करो--करोड़ गुना मिलेगा स्वर्ग में। यह सस्ता सौदा है। करने जैसा है। यह किसी भी व्यवसायी को जंचेगा। किस धंधे में ऐसा मिलता है--एक रुपया लगाओ और करोड़ रुपए! सिर्फ लाटरी में मिलते हैं। स्वर्ग न हई--लाटरी हो गई! और तुम्हारे महात्मा लाटरी में लगे हुए हैं। ये कहते तो हैं, सच बोलो, मगर सत्य से इन्हें प्रयोजन नहीं। इनसे पूछो, नर्क देखा है? स्वर्ग देखा है? ईश्वर देखा है? छोड़ो--ईश्वर, स्वर्ग, नर्क--बहुत दूरी की बातें हो गईं। आत्मा देखी है? जो भीतर ही है; जो तुम स्वयं हो--उसको पहचाना है? और सत्य बोलो! और ये आत्मा का उपदेश दे रहे हैं लोगों को। और ईश्वर का उपदेश दे रहे हैं। और स्वर्ग-नर्कों की बातें बता रहे हैं लोगों को। मंदिरों में नक्शे टंगे हैं! जो जमीन का नक्शा नहीं बना सके, उन्होंने स्वर्ग-नर्क के नक्शे बना लिए हैं! स्वर्ग-नर्क का नक्शा बनाना आसान है। जमीन का नक्शा बनाना मुश्किल बाती थी। यह क्या मजा है! जैनों के पास नक्शे हैं स्वर्ग और नर्क के। लेकिन पृथ्वी का कोई नक्शा नहीं था। क्योंकि पृथ्वी का नक्शा बनाने के लिए तो विज्ञान को आना पड़ा, तब पृथ्वी का नक्शा बना। पृथ्वी के नक्शे में झूठ नहीं चल सकता था। पकड़ जाते। स्वर्ग-नर्क में तो मौज है। जिसका दिल आए, जिसका जी चाहे, जैसा चाहे! एक छोटा-सा बच्चा बड़ी तल्लीनता से तसवीर बना रहा था। फर्श पर फैलाए हए सारे कागजात। रंग बिखेरे हए। और बड़ा तल्लीन था। उसके पिता ने पूछा, बड़े तल्लीन हो। क्या कर रहे हो? उसने कहा, ईश्वर की तसवीर बना रहा हूं! बाप ने कहा, हद्द हो गई! आज तक कोई ईश्वर की तसवीर नहीं बना पाया। ईश्वर कैसा है--यह भी पता नहीं। बेटे ने कहा, ठहरो। मेरी तसवीर पूरी हो जाए; पता चल जाएगा कि ईश्वर कैसा है। जरा तसवीर पूरी हो जाने दो; रंग भर लेने दो, फिर तुम देख लेना कि ईश्वर कैसा है!
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