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ज्यों था त्यों ठहराया
और कृष्ण की सोलह हजार स्त्रियां थीं, जिनमें दूसरों की स्त्रियां थीं भगाई हुई! दूसरों की विवाहित स्त्रियां थीं भगाई हुई! सब चोरी-चपाटी थी।
और बड़ा मजा यह है कि कृष्ण की लोग प्रशंसा किए चले जाते हैं ये भक्तगण, क्योंकि उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई। और सोलह हजार स्त्रियों की लाज लूटी, उसका कुछ हिसाब नहीं! दूसरों की स्त्रियों की लाज लूटी, उसका कुछ हिसाब नहीं। और द्रौपदी इनकी बहन थी, उसकी लाज बचाई तो कोई खास बात हुई? अरे, अपनी बहन की तो कोई भी लाज बचाता है! इसीलिए तो जब किसी को तुम गाली देते हो, तो उसको बहन की गाली देते हो। कभी सोचा तुमने, क्यों देते हो? बहन का कोई हाथ ही नहीं है! बहन की गाली देकर तुम उसको उकसाते हो कि बचाओ लाज! एक बड़े मजे की बात है कि आदमी कसूर करे, उसकी बहन को गाली पड़ती है! और किसी की बहन को गाली दो, फौरन लट्ठ लेकर खड़ा हो जाता है। लाज बचाएगा ही। सभी कृष्ण हैं इस अर्थों में तो!
और ये दूसरों की स्त्रियां भगा लाए! और इसका भक्त गण बड़ी प्रशंसा से--क्या रस ले-लेकर वर्णन करते हैं। आह! वाह-वाह! सुभान अल्लाह! कोई यहां श्रीमदभागवत सप्ताह करवाना है? मैं ऐसे लोगों को शिष्य वगैरह नहीं लेता। मेरा रस इन दकियानूसी मुर्दो में नहीं है; वे होना भी चाहें, तो भी दरवाजे के बाहर से संत महाराज ही उन्हें लौटा देंगे कि रास्ते पर लग जाओ! आगे बढ़ो! और तीसरी बात, उन्होंने कहा कि रजनीश जी को भगवान कहने में मुझे तकलीफ नहीं है। तकलीफ नहीं है, तो कहा किसलिए? तकलीफ होगी, नहीं तो बात ही कहने की नहीं है कुछ। भगवान कहने में तकलीफ नहीं है और भगवान को कच्छ आने देने में तकलीफ है? क्या मजे की बात हो रही है! और कहा कि मैं उन्हें बड़े पवित्र, प्रज्ञावान और विद्वान समझता हूं। अगर बड़े पवित्र, प्रज्ञावान और पवित्र समझते हो, तो जो मैं कह रहा हूं, उस पर थोड़ा ध्यान दो। उस पर तो कुछ ध्यान देते नहीं। यह कहा होगा कि डर के मारे, क्योंकि मेरे संन्यासियों ने उनको ऐसी दिक्कत में डाल दिया कि उनको किसी तरह समझाने-बुझाने के लिए कहा होगा कि चलो, भगवान भी माने लेता हूं, प्रज्ञावान भी माने लेता हूं। प्रज्ञावान हम उसको कहते हैं, जिसको बुद्धत्व उपलब्ध हुआ, प्रज्ञा उपलब्ध हुई। अब जिसको बुद्धत्व उपलब्ध हुआ, उसकी बात सुनो, समझो, अगर मानते हो तो। या फिर इस तरह की झूठी बातें न कहो। ये खुशामदी बातें हैं। मगर तथाकथित भक्त बस, खुशामद ही सीखे हैं। इस देश में चमचे बहुत पुराने हैं। यह कोई नई बात नहीं है कि आज दिल्ली में चमचे इकट्ठे हो गए हैं। चमचा इस मुल्क में बड़ा धार्मिक व्यक्ति रहा है--सदा से। इसलिए तो हम
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