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ज्यों था त्यों ठहराया
के वातावरण में पले हो। मथुरा की हवा तुम्हें खराब कर गई। यह सदियों से दूषित हवा है। और ये लटपटानंद तुम को मिल गए! और क्या-क्या बातें तुम्हें सिखा गए--कि सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर ओम का जाप किया करो! जरा वैज्ञानिक विश्लेषण समझो, वैज्ञानिक अन्वेषण समझो। प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलगअलग समय में उठना उचित है। शास्त्र अकसर बूढे लोगों ने लिखे हैं। स्वभावतः। उन दिनों बुढापे का बड़ा आदर था। बूढे होने में बड़ी कीमत थी। हालांकि बूढे होने में कोई कीमत नहीं। गधे भी बूढे होते हैं। घोड़े भी बूढे होते हैं। बूढे होने में कोई कीमत नहीं है। और गधा बूढा होकर और भी बड़ा गधा हो जाता है। और कुछ भी नहीं होता। बूढे होने से क्या होगा! मूर्ख आदमी बूढा होकर महामूर्ख हो जाता है। कोई बूढे होने से बुद्धिमत्ता नहीं आती। उम्र का बुद्धिमत्ता से कोई संबंध नहीं है। लेकिन शास्त्र बूढों ने लिखे हैं। बूढे ज्यादा देर नहीं सो पाते। और उन दिनों न बिजली थी, न रोशनी थी--जब शास्त्र लिखे गए--सूरज डूबा--कि रात हो गई! सूरज डूबा, कि सोने का समय आ गया। जब जल्दी सो जाओगे, तो दो बजे, तीन बजे नींद खुल जाएगी। बूढ़े आदमी की तो खुल ही जाएगी। बच्चा मां के पेट में चौबीस घंटे सोता है। उसको ब्रह्ममुहूर्त में मत जगा देना, नहीं तो उसकी जिंदगी ही खराब हो जाएगी; वह अपंग हो कर पैदा होगा। छोटे बच्चे तेईस घंटे सोएंगे। फिर बाईस घंटे। फिर इक्कीस घंटे। फिर बीस घंटे। फिर अठारह घंटे। जवान होते हुए आदमी आठ घंटे, सात घंटे के करीब आ जाएगा। यह भी प्रत्येक व्यक्ति का अलग-अलग होगा। बुढापे में आदमी चार घंटे, तीन घंटे, दो घंटे--बहुत हो जाएगा। क्यों? क्योंकि नींद का संबंध शरीर के विकास पर निर्भर है। जब बच्चे का शरीर निर्मित होता है मां के पेट में, तो उसको चौबीस घंटे सोना पड़ता है। शरीर में इतना काम चल रहा है कि अगर उसकी नींद टूटेगी, तो शरीर के विकास में बाधा पड़ेगी। वह सोया रहता है; शरीर में विकास होता रहता है। जो विकास मां के पेट में नौ महीने होता है, फिर पूरी जिंदगी में भी उस गति से विकास नहीं होता। इसलिए नींद जरूरी है। चिकित्सक के पास जाओ; पूछो उससे; अगर कोई बीमारी हो गई है, तो पहला काम है-- नींद जरूरी है। क्योंकि नींद नहीं होगी ठीक से, तो बीमारी को पूरा करने का शरीर को अवसर नहीं मिलेगा। सोने का अर्थ है: सब कार्यक्रम बंद हो गया; सब क्रियाकलाप बंद हो गया। अब शरीर को मौका है कि अपनी स्वास्थ्यदायी शक्तियों का उपयोग कर ले। अब कोई उलझन नहीं, दुकानदारी नहीं; बाजार नहीं; कीर्तन-भजन नहीं। अब शरीर को बिलकुल अवसर है कि अपनी ऊर्जा को फिर से जीवंत कर ले। इसलिए जवान आदमी को सात-आठ घंटे सोना ही चाहिए। इससे कम सोएगा, तो नुकसान पहुंचेगा उसको।
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