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ज्यों था त्यों ठहराया
तो मैंने कहा कि तुम्हें क्या दिक्कत है। लड़की ही सही मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मुझे बड़े बाल पसंद हैं और लड़की कहते हैं, तो लड़की ही सही कोई लड़की में हुआ नहीं जा रहा हूं उनके कहने से तुम्हें इतनी क्या परेशानी है मगर उन्हें परेशानी थी इसकी लड़के की बात ही और होती है। लड़की की कोई गिनती है? अरे, लड़का होता है, तो लोग बैंड-बाजे बजाते हैं। लड़की होती है--मातम छा जाता है ! एकदम उदासी छा जाती है--कि लड़की हो गई ! भाग्य फूट गए।
उन्होंने मुझे चांटा मार दिया कि बाल कटाने ही पड़ेंगे। मैंने कहा, ठीक है।
मैं जाकर सिर घुटा आया। करना क्या !
अब एक दूसरी मुसीबत शुरू हो गई। क्योंकि मेरे उस इलाके में बच्चों के सिर तभी घोंटे जाते हैं, जब बाप की मृत्यु हो जाए । सो लोग पूछने लगे, इस बच्चे का बाप मर गया ! क्या हुआ? अब वे उन्हीं से पूछे।
उन्होंने कहा, तूने और मेरी मुसीबत कर दी। बाबा तू अपने बाल ही बढ़ा ले ! लड़की कम से कम था, ठीक था। इसमें हम तो कम से कम जिंदा थे। अब जो देखो वही पूछता है कि इस लड़के का बाप मर गया बेचारे का -क्या हो गया ! अनाथ हो गया अभी से । भोला-भाला छोटासा लड़का ! इसके बाप का क्या हुआ!
तो उनको समझाना पड़े कि मैं जिंदा हूं! तो वे कहें, इसके बाल कैसे कट गए?
तो अब यह और एक लंबी कथा हो गई। बताना पड़े पूरी कथा कि मामला यह है पहले तो इतना ही था कि बता देते थे कि लड़का है भई बाल बड़े हैं। अब यह सारी पूरी कथा बतानी पड़े कि मैंने इसको चांटा मार दिया इसने बाल पूरे कटवा आया ।
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नाई भी कोई काटने को राजी नहीं था, क्योंकि नाइयों की दुकान - छोटा गांव--मेरी दुकान के समाने ही सारे नाइयों की दुकान! इस नाई के पास गया, उस नाई के पास गया! कोई नाई काटने को राजी नहीं मगर एक अफीमची नाई था- नत्थू नाई। वह किसी के भी काट दे । तुम दाढ़ी कटवाने जाओ, वह बाल काट दे। तुम बाल कटवाने जाओ, वह दाढ़ी काट दे ! जब मैं उसके पास गया, उसने कुछ पूछा ही नहीं उसने जल्दी से कपड़ा बांधा और सिर घोंट दिया। बाद में पूछा कि क्या तेरे पिता चल बसे मैंने कहा, नहीं, कोई चल बसा नहीं । तो उसने कहा, तूने मुझे झंझट में डाला। पहले क्यों नहीं बताया। मैंने कहा, तुम पहले पूछते।
उसने कहा कि दुनिया जानती है कि मैं अफीमची हूं। मैं अपनी पीनक में रहता हूं। यह तो जब मैंने तेरा सिर घोंट दिया, तब मुझे खयाल आया कि यह है कौन! बात क्या है? अब तू अपने पिता को मेरा नाम मत बताना। इतना हाथ जोड़ता हूं। पैसे वगैरह मुझे चाहिए नहीं। बस, नाम भर मेरा मत बताना। नहीं तो मुझसे झंझट होगी - कि तुमने क्यों इसके बाल काटे?
वे जरूर पीनक में रहते थे। उनके पास कटवाने ही लोग जाते थे, जिनको पैसे वगैरह नहीं देने हों, वे ही उनके पास बाल कटवाने जाते थे।
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