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ज्यों था त्यों ठहराया
हां, पत्नी से ब्रह्मचर्य रहा होगा। पत्नी से ब्रह्मचारी कौन नहीं होना चाहता। ऐसा तुम पति देखोगे, जो पत्नी से ब्रह्मचर्य का व्रत न लेना चाहे! यह सच होगा। लेकिन यह जो बेगम थी, इससे प्रेम का चला सिलसिला। इससे बच्चा भी पैदा हआ। बच्चा भी जिंदा है। बेगम भी अभी जिंदा है। उसको पाकिस्तान भिजवा दिया। व्यवस्था की पाकिस्तान भिजवाने की। क्योंकि जब मोरारजी देसाई फिर से भारत के प्रधानमंत्री बन बैठे, सत्ता में आ गए, तो वह बेगम भारत-यात्रा के लिए आई। पाकिस्तानियों को सामान्यतया खुला वीसा दिया ही नहीं जाता। उनको तो जिस जगह जाना हो, उस एक जगह का वीसा दिया जाता है। अगर बंबई--तो बंबई। वह बंबई छोड़ कर हर कहीं नहीं जा सकते। लेकिन इस बेगम को खुला वीसा दिया गया। वह भारत भर में भ्रमण कर सकी। सरकारी विश्राम स्थान में ठहरी। इतना ही नहीं, दिल्ली में वेस्टर्न कोर्ट में उसके ठहरे की व्यवस्था की गई। वह दिल्ली गई, भोपाल गई, हैदराबाद गई, बंबई गई। कहीं कोई रुकावट उस पर न थी। हो भी कैसे सकती थी। लेकिन ब्रह्मचर्य का थोथा पाखंड फैलाए फिरते हैं। मन बड़ा पाखंडी है। यह क्या-क्या तरकीबें निकाल लेता है! महात्मा गांधी की हत्या में मोरारजी देसाई का भी हाथ है। क्योंकि जब पता था, तो रुकावट डाली जा सकती थी। और सरदार वल्लभ भाई पटेल का भी हाथ है। महात्मा गांधी से पूछने का सवाल ही नहीं उठता। यह तो गृहमंत्री को स्वयं आयोजन करना चाहिए। क्या तुम एक-एक आदमी से पूछते फिरोगे कि तुम्हें कोई मारने आने वाला है, तो सरकार इंतजाम करे कि छुट्टी दे! अगर कोई मारने वाला आ रहा है, तो चाहे कोई कितना ही सामान्य नागरिक हो, दुनिया उसे जानती हो कि न जानती हो--यह सरकार का कर्तव्य है कि उसके मार्ग में बाधा डाले। पूछने जाना उस आदमी से, वह भी गांधी जैसे आदमी से पूछने जाना कि हम सुरक्षा का इंतजाम करें या नहीं! यह तो हद्द हो गई! किसी के घर में चोरी पड़ने वाली है, यह पुलिस को पता चल जाए, तो पुलिस पूछने जाती है कि तुम्हारे घर में चोरी पड़ने वाली है। हम इंतजाम करें कि नहीं? हिंदू-मुस्लिम दंगा होने वाला है, तो पुलिस पूछने जाती है कि हम इंतजाम करें या नहीं? महात्मा गांधी से पूछने जाने का मतलब क्या है? कहीं भीतरी आकांक्षा होगी कि छुटकारा हो जाए--इस बूढ़े से छुटकारा हो जाए! महात्मा गांधी की हत्या के सात दिन पहले ही सरदार वल्लभ भाई पटेल ने लखनऊ में आर.एस.एस. की एक विशाल रैली को संबोधन किया था। और वहां उनकी बड़ी प्रशंसा की थी--कि इस तरह के राष्ट्रसेवक चाहिए! यह कुछ आकस्मिक नहीं है कि भारत में जो जनता पार्टी बनी, जिसने मोरारजी देसाई को सत्ता में पहुंचा दिया, वह मूलतः राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बल पर ही खड़ी थी। वह इन मतांध हिंदुओं का ही संगठन था, जिसकी ताकत पर वे सत्ता में पहुंच गए थे। और उनको सत्ता में बिठालने का राज यह था कि भीतर से बुनियादी रूप से हिंदूवाद के समर्थक हैं।
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