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अध्याय प्रथम
जैन वाङ्मय में ब्रह्मचर्य
अनुक्रमणिका
ब्रह्मचर्य स्वरूप संधारण
1.0
ब्रह्मचर्य का महत्त्व
2.0
ब्रह्मचर्य का स्वरूप
2.1 ब्रह्मचर्य की अर्थ यात्रा
व्युत्पत्ति लभ्य अर्थ
2. 2
2.3 कोशगत अर्थ
-
डॉ. मुनि विनोद कुमार 'विवेक'
2.4 परिभाषाएं
2.5
ब्रह्मचर्य और अन्य व्रतों का संबंध 2.6 ब्रह्मचर्य का ऐतिहासिक विकास 2. 7 ब्रह्मचर्य की तात्त्विक मीमांसा
2.8 गांधीजी की दृष्टि में ब्रह्मचर्य 2.9 आचार्य तुलसी के अनुसार ब्रह्मचर्य 2.10 पर्याय विवेचन
2.11 ब्रह्मचर्य : एक निरपवाद साधना
3.0 ब्रह्मचर्य भेद-प्रभेद
3.1 दो भेद (1) निश्चय (2) व्यवहार
3.2
3.2
दो भेद (1) ब्रह्मचर्य महाव्रत (2) ब्रह्मचर्य अणुव्रत
(1) ब्रह्मचर्य महाव्रत का स्वरूप
ब्रह्मचर्य महाव्रत की भावनाएं
(2) ब्रह्मचर्य अणुव्रत का स्वरूप
3.2
3.2
(2) (i) ब्रह्मचर्य अणुव्रत के अतिचार
3.2 (2) (ii) उपासक की प्रतिमाएं और ब्रह्मचर्य
3.3 नव प्रकार का ब्रह्मचर्य
3.4 अट्ठारह प्रकार का ब्रह्मचर्य
3.5 ब्रह्मचर्य के सत्ताइस भेद
3.6 अठारह हजार भेद