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1.0
2.0
ब्रह्मचर्य सुरक्षा का महत्त्व
ब्रह्मचर्य सुरक्षा के उपाय
2.1.
विविक्तशयनासन
2.2.
2.3.
अध्याय चतुर्थ 4. ब्रह्मचर्य : सुरक्षा
के
2.4.
2.5.
2.6.
2.7.
2.8.
2.9.
रूपरेखा
2.1.1. विविक्तशयनासन के उद्देश्य स्त्री संस्तव एवं संवास का वर्जन
2.2.1. स्त्री संस्तव के दोष
2.2.2. स्त्री चरित्र (स्वभाव) का वर्णन
स्त्री कथा का वर्जन
2. 3. 1. स्त्री कथा का अर्थ
2.3.2. स्त्री कथा के प्रकार
उपाय
2.3.3. स्त्री कथा के दोष
स्त्री के स्थानों का सेवन वर्जन
स्त्री के मनोरम इन्द्रियों को न देखना (दृष्टि संयम),
न चिन्तन करना (मनः संयम / मनोनिग्रह)
प्रणीत रस वर्जन
अतिमात्रा में आहार निषेध
पूर्व भुक्त भोगों का स्मरण न करना (स्मृति संयम ) शब्दादि इन्द्रिय विषयों एवं श्लाघा का अनुपाती (आसक्त ) न होना।
2.10. सात और सुख में प्रतिबद्ध न होना
2.11. श्रोतेन्द्रिय संयम
2.12. विभूषा वर्जन
2.13. वाणी संयम 2.14 ग्रामानुग्राम विहार
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