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112. भगवई 2/5/89
113. वही 2/5/89 भाष्य में उद्धृत
भ. यू 2/5/89
114. वही 2/5/87-88 के भाष्य में उद्धृत भ.जो 1/40/30 115. अवबोध / 93
116.
117. (31)
उपासक दशांग / 8
23 में उद्धृत)
119.
120.
121.
122.
दसवे आलियं 6/15
(ब) दसवै जि . चु. पृ. 219 'घोरं नाम निरणमुक्कोसं, कहं ? अबंध पवतो हिण
131.
132.
133.
किंचि तं अकिचं जं सो न भणई' (दसवै 6/115 का टिप्पण सं.
(द) वही 32 / 26
118. जैन सिद्धान्त कोश में उद्धृत स्या. मं./23/276/15 (3 से 7) (भाग-4, पृ- 532 )
संबोधि 16/14
(स) उत्तरज्झयणाणि 5/4.8
-
उत्तरज्झयणाणि 5/5:6
आचारांग भाष्यम् 2 ( 1 ) / 3:5 (1) / 10
उत्तरज्झयणाणि 32 / 30
123.
124.
125.
126. वही 6 (4) / 86
127. ठाणं 3/315
128. नायाधम्मकहाओ 17 / निगमन गाथा 36
आचारांग भाष्यम् 2 (1) 2,3,5 (1) / 10
धर्मामृत अनगार 4/14
आचारांग भाष्यम् 4 (4) / 45
129. दसवेआलियं 6 / 15, टिप्पण संख्या 25
130.
भगवती आराधना 901
सर्वार्थसिद्धि 7/8/347/11
आचारांग भाष्यम् 5 (4) 86,5 (3) /44
वही 2 (5) /134
भगवती आराधना 921
114