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संदर्भ ग्रन्थ ग्रन्थ/ ग्रन्थकार-टीकाकार/हिन्दी अनुवादक * प्रकाशक + संस्करण क्रमांक ) सन
यथार्थ धर्मविज्ञान-श्रद्धानमार्गसम्पदः ।
भवन्तु भव्यजीवानां सुवन्द्यधर्मलब्धये ।। इस कति के अध्ययन से भव्य जीवों को सुवन्द्य-जगत्पूज्य धर्म की प्राप्ति होने के लिये मुनिधर्म और श्रावकधर्म का यथार्थ ज्ञान होकर उस पर यथार्थ श्रद्धान हो तथा उस रूप से आचरण करने रूप यथार्थ चारित्र रूपी सम्पदा की प्राप्ति हो यह मंगल कामना ।।
नाहंकारवशीकृतेन मनसा न द्वेषिणा किन्तु वै सग्रन्थ्यं प्रतिपद्य नश्यति जने कारुण्यबुद्ध्या मया । वाक्कल्लोल परम्परां प्रचलितां ज्ञानस्य दीप्त्या गवा गर्तादुद्धरणं कृतं सुनिनदात् तिक्ष्णैरहो! सत्यभिः ।।
अन्तिम मङ्गल यैः स्वामलेन चरणेन मणिप्रभाभिलॊके प्रकाशितमहो ! जिनधर्ममार्गम् ।
निर्ग्रन्थ-दान्त-समताधर-साधकानि
साधूनमामि सततं हृदये धरामि ||१|| यदर्थमात्रा-पदवाक्यहीनं मया प्रमादाद्यदि किञ्चनोक्तम् ।
तन्मे क्षमित्वा विदधात देवि
सरस्वती केवल बोधलब्धिम् ।।२।। बोधिः समाधिः परिणामशुद्धिः स्वात्मोपलब्धि: शिवसौख्यसिद्धिः।
चिन्तामणिं चिन्तितवस्तुदाने
त्वां वन्द्यमानस्य ममास्तु देवि ।।३।। श्रीमत् परम गम्भीर स्याद्वादामोघ लाञ्छनम् । जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनम् ।।४।।
अकाख्यान श्रेयांस कोश-भाग३/ आर्यिका श्रेयांसमती -1 (संपादकआ. सुविधिसागर )* + १) सन २००८ अक्षय ज्योति (मासिक)/आ. सुविधिसागर -/* सुविधि ज्ञान चन्द्रिका ग्रंथ प्रकाशन समिति, औरंगाबाद +१) जूलाई-सितंबर -२००४ अक्षय ज्योति (मासिक)/आ. सुविधिसागर -/* सुविधि ज्ञान चन्द्रिका ग्रंथ प्रकाशन समिति, औरंगाबाद +१) अक्तुबर-२००९
अजितमती साधना स्मृतिगंध/ब्र. कु. रेवती दोशी -/* प्रकाशन समिती, मुंबई+१. सन १९९२ अमितगति प्रावकाचार/आ. अमितगति अध्यात्म के सुमन/आ. पुष्पदन्तसागर -/ (संकलक - मुनि सौरभसागर) ** श्री दि. जैन मन्दिर समिति, सूर्य नगर (गाजियाबाद)+४) सन २००४ अनगार धर्मामृत/पं. आशाधर/-पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री * भारतीय ज्ञानपीठ + १. सन १९७७ अनूठा तपस्वी / आ. सुनीलसागर -/* आ. आदिसागर (अंकलीकर) अंतरराष्ट्रीय जागृति मंच, मुंबई +२ सन २०११ अंतर-शीधन अंतर-शोधन/संकलक सुरेशभाई देसाई, सोनगढ- /* जसकरण और अभयकरण सेठिया + ३. वी. नि. संवत २५३५ अमृत कलश(२)/आ. पुष्पदन्तसागर-/(संकलक-मुनि प्रमुखसागर) * + २. सन २००३ अमृत कलश/आ. पुष्पदन्तसागर-/(संकलक-मुनि प्रमुखसागर) * +४ ) सन २००७ अष्टपाड/आ. कुन्दकुन्द-श्रुतसागर सूरि/पं. पन्नालाल साहित्याचार्य * भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परीषद (भा. अ. वि. प.) + ३. सन २००४ अष्टपाइड(भावा वनिका)/आ. कुन्दकुन्द-/पं. जयचंद छाबड़ा * श्री कुन्दकुन्द कहान दि. जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट, जयपुर + ७. सन १९९४
आचारसार/आ. वीरनन्दि-/पं. लालाराम शास्त्री * श्री १०८ आ. शान्तिसागर दि. जैन ग्रन्थमाला +१. वी. नि. संवत २४६२
शुभं भवतु ।
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