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________________ ६५] पढमो वग्गो २९ वया कालीए देवीए परिकहियं, जाव जीवियाओ ववरोवेइ ॥ ६२ ॥ "तं एयं खलु, गोयमा, काले कुमारे एरिसएहिं आरभेहिं जाव परिसरणं असुभकडकम्मपन्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पङ्कष्पभाए पुढवीए हेमाभे नरए नेरइयत्ताए उववन्ने " ॥ ६३ ॥ " काले णं, भन्ते, कुमारे चउत्थीर पुढवीए... अणन्तरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छहिर कहिं उववजिहिर ?” “गोयमा, महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवन्ति अड्ढाई, जहा दढपन्नो जाव सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ जाव अन्तं काहिह ” ॥ ६४ ॥ " " तं एवं खलु, जम्बू, समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमट्टे पन्नन्ते ॥ ६५॥ ॥ पढमं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ ११ ॥ " जइ णं, भन्ते, समणेणं जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमट्टे पन्नत्ते, दोच्चस्स णं, भन्ते, अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपतेणं के अट्ठे पन्नत्ते ?” " एवं खलु, जम्बू ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा नामं नयरी होत्था । पुण्णभद्दे वेइए । कूणिए राया। पउमावई देवी । तत्थ णं चम्पाप नयरीए सेणियस्स रन्नो भज्जा कूणियस्स रन्नो चुल्ले १. A खुल्ल ०
SR No.009958
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherP L Vaidya
Publication Year
Total Pages218
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size29 MB
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