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१४४ । ज्वालामालिनी कल्प। गच्छ गच्छ पुनरागमनाय जाज: जः ॥ विसजनम् ।।
अथ ब्राह्माद्यष्ट देवतानां पूजा ब्राह्मो आदि जाठों देखियों का पंचोपचार क्रम। ब्राह्मयादि देवता नांतु पूजा पिंडः सम ध्रुवं । ब्रामथादि यादिभिः सम्यक् कुर्यातनामतः सुधीः ॥१॥
ब्राझी आदि देवियोंका पूजन भी उनके नामसे पिण्ड लगाकर पंडित पुरुष करे॥
ब्राह्मी देवीका पूजन
महानन मंत्र। ॐ ह्रीं क्रों यल्व्यू पमराग वर्णे सर्व लक्षण सम्पूर्णे स्वायुध वाहन समेते स परिवारे हे ब्रह्माणि एहिर संवौषट आह्वाननम् । ___ॐ ह्रीं क्रों यन्व्य पराग वर्णे सर्व लक्षण संपूर्णे स्वायुध वाहन समेते स परिवारे हे ब्रह्माणि विष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् ।
ॐ ह्रीं क्रों टम्ल्यू पाराग वर्णे सर्व लक्षण संपूर्णे स्वायुध वाहन समेत स परिवार हे ब्रह्माणि मम सन्निहितो भव । भव सन्निधिकरणम् ।
दशम परिच्छेद । ___ॐ ह्रीं क्रों यल्व्यू पद्मराग वर्णे सर्वलक्षण संपूर्णे स्वायुध वाहन समेते सपरिवारे हे ब्रह्माणि इदमध्यं गंधमक्षतं पुष्पं दीप धूपं चरुं फलं बलिं गृहर स्वाहा । अर्चनम् ।
ॐ ह्रीं क्रों यल्व्य पाराग वर्णे सर्व लक्षण संपूर्णे स्वायुध वाहन समेत सपरिवारे हे ब्रह्माणि स्वस्थानं गच्छ २ नः जाजः (विसर्जनम् )।
॥ इति ब्राह्मीदेवी पूजन ।। निज पिंड देह वर्णाख्या योगादष्ट भावमापन्ना । पंचोपचार मंत्रै मातृः सं प्राय॑ये देभिः ॥२॥
अर्थ-अपने देह पिंडके वर्ण नामयोग और आठों भावों सहित पंचोपचार मंत्रोंसे उन माता ॐ का पूजन करे ॥२॥
माहेश्वरीदेवीका पूजन ॐ ह्रीं क्रों मल्व्यू शशधरवणे सर्वलक्षण संपूर्ण स्वायुध बाहन समेते सपरिबारे माहेश्वरि एहि एहि संवौषट् । आह्वाननम् ।
ॐ ह्रीं क्रों मल्ब्यू शशधरवणे सर्वलक्षण संपूर्णे स्वायुध वाहन समेते स परिवारे माहेश्वरि तिष्ठ तिष्ठ टः ठः । स्थापनम् । ___ॐ हीं को मन्व्यू शशधरवणे सर्व लक्षण पूर्णे स्वायुध वाहन समेते सपरिवारे माहेश्वरी मम सन्निहिता भव भव वषट । सनिधिकरणम् ।
ॐ को
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