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वालामालिनी कल्प
ब्रह्मावशिष्ट पिण्ड ज्वालिनी नव तत्व पूर्व मेहि युगं । स्वाहा संवौषडिति ज्यालिन्या ध्यान मंत्रोऽयं ॥ ३ ॥
अर्थ - ब्रह्म (ॐ) शेष पिंड ज्वालामालिनी नवतस्व तथा दो वार 'एहिर' के पश्चात् स्वाहा और संवौषट्युक्त मंत्र ज्वालिनीदेवीका ध्यान मंत्र है ॥ ३ ॥
ध्यानमन्त्र या आह्वानन मन्त्रका उद्धार
ॐ न्यू, मल्यू, घन्यू, मल्यू, खल्ब्यू, बल्ब्यू, ल्यू, कल्ब्यू, सम्पूर्णेन्दु स्वायुध वाहन समेते स परिवारे हे ज्वालामालिनि ह्रीं क्लीं ग्लू' द्रां द्रीं हां आं क्रों क्षीं एहिर स्वाहा । संवौषट् ।
क्ष ह म म पिंड ज्वालिनि नव तत्वेन्वेष मन्त्रमुच्चार्य । स्वनिधन पद समुपेत खितये संस्थापना दीनां ॥ ४ ॥
अर्थ-क्ष, इ, भ और म, अक्षरोंके पिंड ज्वालामालिनी देवी और नव तत्वोंका उच्चारण करके अपने अन्तके पदों सहित स्थापना आदिके मंत्र बनते हैं ॥ ४ ॥
उक्त्वा मुमंत्र मंत्र नश्यत् संदर्श्यत् संदर्भ्य योनि मुद्रां च । ब्रूयाद्वि सृष्टि समये महा महिष वाहने तं ॥ ५ ॥
अर्थ – इन उपरोक्त मंत्रोंको बोलता हुआ विनोंको नाश करता हुआ योनि मुद्राको बार बार दिखलाकर अन्तमें। " महामहिषवाहने " यह पद भी कहे ॥ ५ ॥
दशम परिछेद ।
स्थापना मन्त्रका उद्धार
ॐ न्यू यू यू मम्यू धवल वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध, वाहन, समेते, सपरिवारे ज्वालामालिनि ह्रीं क्लीं ब्लूद्रां द्रीं हां कों क्षीं तिष्ठ२ ठः ठः । स्थापनम् ।
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सन्निधिकरण मन्त्रका उद्धार
ॐ यूयू यू मन्यू धवल वर्ण सर्व लक्षण संपूर्ण स्वायुध महा महिष वाहन समेते सपरिवारे ज्वालामालिनि, द्रां द्रीं क्लीं ग्लू, ह्रीं, हां, आं क्रों, क्षीं, मम सन्निहितो भव भव वषट् । सन्निधिकरणं ।
पूजन मन्त्रका उद्धार ॐ न्यूह
भन्यू मल्यू धवल वर्ण सर्व
लक्षण संपूर्ण स्वायुध महा महिष वाहन समेते सपरिवारे ज्वालामालिनि द्रां द्रीं क्लीं ब्लू ह्रीं ह्रां आं ज्ञीं इद मध्ये पाद्यं गंधमक्षेतं पुष्पं दीपं धूपं चरुं कलं बलिं गृद्ध र नमः ।
अर्चना मंत्र ।
विसर्जन मंत्र का उद्धार
ॐ यू यू यू म्म्न्यू धवल वर्ण सर्वलक्षण संपूर्ण स्वायुध महामहिष वाहन समेत स परिवारे ज्वालामालिनि, द्रां द्रीं क्लीं, ब्लू, ह्रीं, हां, आं, क्रों, क्षीं, स्वस्थानं