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श्री पंचगुरुभ्यो नमः | श्री चंद्रप्रभाय नमः ।
मुनिराज श्री इन्द्रनन्दि विरचित - श्री ज्वालामालिनी कल्प
भाषाटीका और मंत्र तंत्र सहित
प्रथम परिच्छेद
॥ मंगलाचरण |
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चंद्रप्रभजिननाथ, चंद्रप्रभमिन्द्रनंदिमहिमानं । ज्वालामालिन्यचिंत, चरणसरोजद्वयं वंदे ॥ १ ॥
अर्थ - जिनकी महिमा इन्द्रनन्दिको भी प्रसन्न करनेवाली है, जिनके चरणकमल ज्वालामालिनी नामकी देवोसे पूजे