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वशम परिच्छेद।
[१२९ "वश्य तंत्राधिकार" नाम सप्तम परिच्छेदमें श्लोक संख्या (५१) "वसुधारास्नान विधि" नाम अष्टम परिच्छेदमें श्लोकसंख्या (३५) "नीराजनविधि" नाम नवम परिच्छेदमें श्लोकसंख्या (२५) "साधन विधि" नाम दशम परिच्छेदमें श्लोकसख्या (२०) सम्पूर्ण ग्रंथकी श्लोक संख्या तीनसौ अडसठ (३६८)
इतिश्री मालामालिनी कल्पको काव्य साहित्य तीर्थाचार्य प्राच्य विद्यावारिधि श्री चंद्रशेखर शास्त्री कुन
भाषाटोका समाप्त हुई।
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खनाल मालिनी का श्री चंद्रनाथाय नमः । श्री अनंतनाथाय नमः। " मंत्रि लक्षण" प्रथम परिच्छेदे पद ग्रंथाः पंच त्रिंशत् (३५) ग्रहाधिकार द्वितीय परिच्छेदे पद ग्रंथाः दा विंशति (२२)। द्वादश बीजाक्षर विधान तृतीय परिच्छेदे पदग्रंथात्रयशीति (८३) मंडलाधिकार चतुर्थ परिच्छेदे पद ग्रंथाश्चतुश्चत्वारिंशत् (४४) भूताकंपन तैल विधि पंचम परिच्छेदे पद ग्रंथाः विंशति (२०) वश्य यंत्राधिकार षष्ट परिच्छेदे पद ग्रंथाः सप्त चत्वारिंशत् (४७) वश्य तंत्राधिकार सप्तम परिच्छेदे पद ग्रंथाः एक पंचाशत् (५१) बसुधारास्नान विधि अष्टम परिच्छेदे पद ग्रंथा: पंच त्रिंशत् (३५) नीराजन विधि नवम परिच्छेदे पद ग्रंथाः पंच विंशति (२५) साधन विधि दशम परिच्छेदे पद ग्रंथाः विंशति (२०) उभेय ग्रंथ ४५१ मंत्र गदवरददावे श्रीः श्री: अर्थ:-"मन्त्रिलक्षण"वाले प्रथम परिच्छेदमें श्लोकसंख्या (३५) "ग्रहाधिकार" नामवाले द्वितीय परिच्छेदमें श्लोक संख्या (२२) । "द्वादश वीजाक्षर विधान" नामवाले तृतीय परिच्छेदमें
श्लोक संख्या (६९) 'मंडलाधिकार" नामवाले चतुर्थ परिच्छेदमें श्लोक संख्या (४४) । 'भृतार्कपन तैल विधि' नाम पंचम परिच्छेदमें श्लोकसंख्या (२०) 'वश्य तन्त्राधिकार' नाम षष्टम परिच्छेदमें श्लोक संख्या (४७)