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श्री रायबहादुर हीराकानीने भी अब निर्माणका समय चतानेवाला अन्तिम लोक अपने प्रास्ताविक समय में दिया है। इसके अनुसार, श्री हे (५१) जात्रार्यकृत प्रथके तात्पर्यानुसार भीमद् इन्द्रनन्दि-योगीन्द्रने इस चाहिनी-मत संज्ञक ग्रंथकी रचनाकी परिसमाप्ति मान्यखेटमें (बर्तमान माखेड़-मह राष्ट्रकूट राजाओंकी राजधानी थी-) शक मन् ८६१ ( 3 ई० स० ९३९) में अक्षय तृतीयाके दिन की गई।
अतः यह ग्रन्थ ईसाकी दखीं शतीके पूर्वाद्धका होनेसे प्राचीन है। इस ग्रन्थकी प्राचीन हस्तलिखित प्रतियां लेकर इन सबके पाठको देखकर संशोधित पाठमें इसका पुनः सम्पादन करना बाबश्यक है।
श्री कापडियाजीका यह प्रकाशन इस प्रन्थको सर्व प्रथम अधिनिमें जानेका कार्य करता है। किंतु मुदित ग्रन्थमें अशुद्धियां रह गई हैं।
-उमाकांत प्रेमानन्द शाह-बडौदा ।
विषय-सूची प्रथम परिच्छेद (मंत्री लक्षण)| नं. विषय नं. विषय... पृष्ट
१९. मष्ट दंडकरी देवियां ५७ १. मंगलाचरण १
२०. योबह प्रतिहार २. ग्रंथ स्मनाका कारण
२१. उस मंडलका उपयोग १९ (कमश्री कथा) ३ २२.७माय-मंडल ३. ग्रंथकी गुरु परंपरा ७
२३. सत्य मंडल ६२ ४. ग्रंथी अनुक्रमणिका ९
पंचम परिच्छेद ५. मंत्रीके बक्षण १०२४. भूताकंपन तेल द्वित्तीय परिच्छेद दिव्यादिन्य ग्रह षष्ठम परिच्छेद ६. ग्रहोंके पकड़ने के कारण १२ २५. सर्वरक्षा यंत्र ७१
२६. प्रारक्षक पुत्रदायक यंत्र ७२ ८. कौन हाकिमको
२७. वश्व यंत्र (१) ७३ पकड़ता है १२
२८. मोहन पश्य यंत्र (२)७४ .दिव्य पुरुष ग्रहोंकेक्षण १३
२९. बी बाकर्षण यंत्र ७५ ..दिव्य संग्रह और
३०. दिव्यगति सेना जिला उसके बक्षण
और कोष स्तंभन यंत्र ११. दिव्य ग्रह
३१. स्तंभन यंत्र ७८ । तृतीय परिच्छेद
३२. जिला स्तंभन यंत्र ७९ १२. पडीकरण क्रिया
३३. गति जिहादकोष
स्वैमन यंत्र ८० १३. ह निग्रह विधान
३४. पुरुष वश्य यंत्र ८० १४. बीजाक्षर ज्ञानका
३५. कपबश्य यंत्र ८२ महत्व
३६. शामिनी मय हरण यंत्र ८३ १५. पल्लवोंकावर्णन
३७. घट यंत्र १६. साधारण Eि
४४३८ पबित्रहरण यंत्र ८६ चतुर्थ परिवेद सामान्य मंडळ
80. परमदेकमाइ यंत्र ८९ २८. सर्वतोभद्र मंडळ ५४ | ४१. वश्य हवन