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११) अहं कया तव मुहं पेक्खिस्सं ?
मैं कब तुम्हारा मुख देखू ?
१२) कया वयं बंधणमुक्का होइस्सामो ?
कब हम बंधनमुक्त होंगे ?
१३) पुण्णेण तुमं सग्गे विहरिस्ससि ।
पुण्य से तुम स्वर्ग में विहार करोगे ।
१४) तुम्हे सुहेणं मंदिरं पविसिस्सह ।
तुम सब सुखपूर्वक मंदिर में प्रवेश करोगे ।
१५) पवणो तव परिस्समं हरिस्सइ ।
पवन (हवा) तेरे परिश्रम दूर करेगा ।
१६) चंद ! तुम गयणे सोहिहिसि ।
हे चंद्र ! तुम गगन में शोभोगे ।
१७) तुम्हाणं कालो सुहपुव्वयं वट्टिहिइ ।
तुम्हारा काल सुखपूर्वक बीतेगा ।
१८) ऊसवे महिलाओ घरं विहूसिहिति ।
उत्सव में महिलाएं घर विभूषित करेंगी ।
१९) अग्गिम - पूण्णिमाए चंदो रत्ती पयासिहिइ ।
अग्रिम (आनेवाली) पूर्णिमा को चंद्र रात को प्रकाशित करेगा ।
२०) कट्टहारो कट्टु छिंदिस्सइ ।
लकडहारा लकडी तोडेगा ।
31151Tef (Imperative Mood)
आज्ञा देने अथवा हुकूम करने के लिए जिस कालार्थ का प्रयोग किया जाता है उसे आज्ञार्थ कहते हैं । अंग्रेजी में उसे 'Tense' न कहते हुए Mood' कहते हैं । आज्ञा प्राय: सामनेवाले को दी जाती है । इसलिए यहाँ 'द्वितीय पुरुष' का ही प्राधान्य है । सामान्यत: व्यक्ति खुद को आज्ञा नहीं देता । इसलिए प्रायः द्वितीय और तृतीय पुरुष के प्रयोग ही आज्ञार्थ में पाये जाते हैं ।