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सुवण्ण (सुवर्ण), नह (नभ, आकाश ), मण (मन), मंदिर इ. अकारान्त नपुंसकलिंगी शब्द उपरोक्त 'वण' शब्द के अनुसार लिखिए ।
(१) प्रथमा विभक्ति : (Nominative ) कर्ताकारक
१) वणं रमणीयं ।
वन रमणीय है ।
२) उज्जाणाइं/ उज्जाणाणि नयरस्स हिययाई । उद्यान नगर का हृदय है ।
(२) द्वितीया विभक्ति : ( Accusative) कर्मकारक
१) अग्गी वणं डहइ ।
अग्नि वन जलाती है ।
२) ते विविहाइं फलाई आणेंति । वे विविध फल लाते हैं ।
(३) तृतीया विभक्ति : ( Instrumental) करणकारक
१) वणेण विणा किं कट्ठे लहइ ?
वन के सिवा क्या काष्ठ मिलेगा ?
२) अज्ज पुण्णेहिं मए गुरु दिट्ठो ।
आज पुण्य से मुझे गुरू दिखाई दिये ।
(४) पंचमी विभक्ति : ( Ablative ) अपादानकारक
१) सो वणाओ आगच्छइ । वह वन से लौटता है ।
२) वणेहिंतो जाणं बहुलाहो होइ । वनों से लोगों को बहुत लाभ होता है ।
(५) षष्ठी विभक्ति : ( Genitive) संबंधकारक १) धणस्स चिंताए सो मओ ।
धन की चिंता से वह मर गया ।