________________
क्रोध आदि में परिणत हो जाय तो वह शिष्य के हानि का ही कारण होगा ।
स्वाध्याय - २ १) 'विनय' शब्द के दो अर्थ लिखिए । (एक वाक्य) (प्रस्तावना) २) धर्मरूपी वृक्ष का मूल, फल और तना किसे कहा हैं ? (एक वाक्य) (गाथा १ अर्थ) ३) भगवती-आराधना ग्रंथ कौनसे आचार्य ने कौनसी भाषा में लिखा है ? (एक वाक्य) (गाथा २ भावार्थ) ४) धर्म का प्रवेशद्वार ‘विनय' क्यों हैं ? (एक वाक्य) (गाथा २ भावार्थ) ५) विनय में कौनसे गुण निहित (included) हैं ? (एक वाक्य) (गाथा ३ अर्थ) ६) विनय के साथ अविनय भी क्यों जानना चाहिए ? (दो-तीन वाक्य) (गाथा ४ भावार्थ) ७) विनय को ‘सरोवर' और गुणों को 'कमल' क्यों कहा हैं ? (दो-तीन वाक्य) (गाथा ५ भावार्थ) ८) विनय मूल' भी है और 'फल' भी है' - स्पष्ट कीजिए । (पाँच-छह वाक्य) (गाथा ६ भावार्थ) ९) अविनयी शिष्य में कौनसे दुर्गुण होते हैं ? (एक वाक्य) (गाथा ७ भावार्थ) १०) विनयी और अविनयी शिष्य कौनसे बदलाव ला सकते हैं ? (एक वाक्य) (गाथा ७ भावार्थ) ११) उत्तराध्ययनसूत्र कौनसी भाषा में है ? उसके प्रथम अध्ययन का नाम क्या है ? (दो वाक्य) (गाथा ७ भावार्थ) १२) गुरु से शिक्षा प्राप्त करने के लिए किस प्रकार वचनविनय करना चाहिए ? (तीन वाक्य) (गाथा ८ अर्थ) १३) अविनयी शिष्य के लिए 'बांस' की उपमा क्यों प्रयुक्त की है ? (तीन-चार वाक्य) (गाथा ९ भावार्थ)
**********