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सम्पादकीय
बालकों से जैनॉलॉजी का प्राथमिक अध्ययन कराने हेतु सन्मति-तीर्थ ने जैनॉलॉजी प्रवेश : प्रथमा से पंचमी तक की किताबें तैयार की थी । जून २००९ में सभी केंद्रों में मिलकर लगभग ३०० बच्चों ने पंचमी की परीक्षा अछी
में उत्तीर्ण की । पुणे विद्यापीठ के अंतर्गत जैन अध्यासन द्वारा पुरा 'भक्तामर स्तोत्र' कंठस्थ करने कीप्रतियोगिता भी इन बच्चों के लिए रखी थी । बहुत सारे छात्रों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया । ___बच्चे और उनके पालकों के अनुरोध के अनुसार सन्मति-तीर्थ अगले पाँच साल के जैनविद्याभ्यास की परियोजना बना रही है । अब ये बच्चे कुमारावस्था में पहुँचे हैं । इन्हें अब जैनविद्या का विशेष परिचय करान है । इसी वास्ते परियोजना का नाम - “जैनॉलॉजी परिचय" रखा है । “जैनॉलॉजी परिचय" का प्रथम खंड प्रकाशित करते हुए हमें अत्यधिक खुशी महसूस हो रही है ।
आज से लगभग साठ वर्ष पूर्व उपाध्याय श्री अमरमुनिजी ने जैन-धर्म, दर्शन, संस्कृति, इतिहास और सिद्धान्त का परिचय देनेवाली एक महत्त्वपूर्ण किताब का प्रणयन किया था । 'जैनत्व की झाँकी' एक ऐसा किताबरत्न है जिसमें जैन-धर्म के प्राथमिक परिचय से लेकर मूलभूत सिद्धान्तों का तथा संस्कृति और इतिहास का सारग्राही टस्थ विश्लेषण सुलभ भाषा में प्रस्तुत किया है । इस किताब के कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं । हिन्दी में दस से भी ज्यादा संस्करण भी हो चुके हैं । _ 'जैनॉलॉजी परिचय' के प्रथम खंड में 'जैनत्व की झाँकी' किताब के महत्त्वपूर्ण चौदह पाठ लेकर सन्मति-तीथ ने सविस्तृत प्रश्नसंच तैयार किया है । किताब के आधार से पाठ में अंतर्भूत मुद्दे समझाकर शिक्षक इस प्रश्नसंच के आधार से तैयारी करवाएँ तो विद्यार्थी पाठ्यक्रम में सहजता से प्राविण्य प्राप्त कर सकते हैं । जैनॉलॉजी प्रवेशपंचमी की किताब से रिव्हिजन के लिए दो पाठ अनुवृत्त किये हैं । प्राकृत व्याकरण का प्राथमिक परिचय करानेवाला पाठ भी लिखा है।
इस प्रकल्प के लिए श्रीमान अभयजी फिरोदिया ने जो हार्दिक सहयोग दिया है, उसके लिए हम उनके शतश: आभारी है।
आशा रखते हैं कि यह परियोजना भी अन्य परियोजनाओं की तरह कामयाबी की मंजिल हासिल करें !!!
डॉ. नलिनी जोशी मानद-निदेशक, सन्मति-तीर्थ
जून २००९