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तत्त्वार्थ सूत्र ++** नय के भेद
नैगम नय का स्वरुप संग्रह नय स्वरूप
व्यवहार नय स्वरूप ऋजुसूत्र नय स्वरूप शब्द नय स्वरूप
समभिरुढ़ नय स्वरूप
एवंभूत नय स्वरूप द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नय
द्वितीय अध्याय
जीव के पाँच भाव
पाँचों भावों का स्वरूप पाँच भावों के भेद औपशमिक भाव के भेद
औपशमिक सम्यक्त्व, औपशमिक चारित्र,
प्रथमोशम सम्यक्त्व, द्वितीयोपशम सम्यक्त्व पांच लब्धियाँ
क्षायिक भाव के भेद
उनका कार्य
सिद्धों में क्षायिक भाव
क्षायोपशमिक भाव के भेद ओदयिक भाव के भेद
उपशान्त कषाय आदि गुणस्थानों में लेश्या के सत्त्व को
लेकर शंका-समाधान
अन्य औदयिक भावों का इन्हीं में अन्तर्भाव
+++अध्याय -
पारिणामिक भाव के भेद जीव का लक्षण उपयोग
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+++XIII +++++++++
तत्त्वार्थ सूत्र +++++ उपयोग के भेद
ज्ञान और दर्शन की चर्चा मन:पर्यय दर्शन क्यों नहीं माना जीव के भेद
पांच परिवर्तनों का निर्देश संसारी जीव के भेद
जो चले वे त्रस, जो ठहरे रहें वे स्थावर, ऐसा मानने में दोष
स्थावर के भेद
स्थावर के चार प्राण
त्रस के भेद
सजीवों के प्राण
इन्द्रियों की संख्या और उनके भेद
द्रव्येन्द्रिय का स्वरूप भावेन्द्रिय का स्वरूप
इन्द्रियों के नाम
इन्द्रियों का लक्षण इन्द्रियो के विषय
मन का विषय इन्द्रियों के स्वामी
संज्ञी का स्वरूप
"संज्ञिन:समनस्का:" इस सूत्र में दोनों पद क्यों रखे ? नया शरीर धारण करने के लिये जीव की गति गति का नियम
मुक्त जीव की गति
संसारी जीव की गति का कालमान
ऋजु गति का कालमान
+++अध्याय
अनाहार का कालमान जन्म के भेद
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