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श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्य विरचित
श्री प्रवचनसार टीका
दूसरा खण्ड
अथवा
ज्ञेयतत्वदीपिका |
टीकाकार
श्रीमान् जैनधर्मभूषण धर्मादिवाकर ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी,
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ऑ० सम्पादक "जैनमित्र " सूरत ।
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प्रथमावृत्ति ]
जैनमित्र " के २५वें वर्ष के ग्राहकोंको सेठ इच्छाराम कम्पनोवाले ला० बद्रीप्रसादजीके सुपुत्र - सेठ चिरञ्जीलालजी जैन रईस बैंकर
पानीपत ( पञ्जाब) की तरफसे भेट । मूल्य १||) एक रुपया वारह अना ।
वैसाख वीर स० २४५१ [ प्रति १३००