________________
काकोलूकीय
ES
उसके पांच मंत्री यथा रक्ताक्ष, क्रूराक्ष, दीप्ताक्ष, वक्रनाश और प्राकारकर्ण थे । शुरू में उसने रक्ताक्ष से पूछा, “भद्र ! यह शत्रु का मंत्री हमारे हाथ आ गया है अब क्या करना चाहिए ?" रक्ताक्ष ने कहा, "इसमें सोचने की ? बिना सोचे इसे मार देना चाहिए | क्योंकि
क्या बात
८८
'छोटे दुश्मन को भी उसके जोरावर होने के पहले मार डालना, चाहिए। बाद में पौरुष और बल मिलने पर वह दुर्जय हो जाता है । क्योंकि आई लक्ष्मी छोड़ने वाले को शाप देती है, ऐसी कहावत है । कहा भी है-
" मौका ढूंढ़ने वाले आदमी के पास मौका एक बार आता है । मौके का फायदा उठाने वाला अगर उस समय काम न करे तो
फिर वैसा मौका नहीं मिलता ।
ऐसा सुना गया है
――――
" जलती चिता और मेरे टूटे फन को देख; पहले टूटी और बाद में जोड़ी प्रीति स्नेह से नहीं बढ़ती ।"
अरिमर्दन ने कहा, "यह कैसे ?" रक्ताक्ष ने कहा
ब्राह्मण और सांप की कथा
" किसी नगर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसके खेती करने पर भी उससे कोई नतीजा नहीं निकलता था और इसी तरह उसका • समय बीतता था । एक दिन उस ब्राह्मण ने धूप से व्याकुल होकर गरमी की
の
--
बेला बीतने तक अपने खेत के बीच एक पेड़ के नीचे सोये हुए पास ही में बांबी पर फन फैलाये एक भयंकर सांप को देखकर सोचा, "जरूर ही यह क्षेत्रदेवता है, जिनकी मैंने कभी पूजा नहीं की। इसी से मेरी खेती खराब हो जाती है । मैं फौरन अब इसकी पूजा करूंगा ।" ऐसा सोचकर वह कहीं से दूध भीख मांग लाया और उसे कंटोरे में रखकर बांबी के पास रखते हुए कहा, "हे क्षेत्रपाल ! मुझे अबतक नहीं मालूम था कि आप यहीं रहते हैं इससे मैंने आपकी पूजा नहीं की। आप मुझे क्षमा करें।" यह कहकर और