SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 190
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ قیام काकोलूकीय "मेढा लड़ते समय अगर पीछे हटता है तो टक्कर मारने के लिए, सिंह अगर अपना शरीर सिकोड़ता है तो अत्यन्त क्रोध से छलांग मारने के लिए; अपने विचारों को हृदय में रखकर, अपनी मंत्रणा और आचरण को गुप्त रखते हुए तथा किसी चीज की परवाह न करते हुए बुद्धिमान पुरुष सब कुछ सह लेता है। और भी "शत्रु को बलवान देखकर जो देश त्याग कर देता है वह युधिष्ठिर की तरह जीवित रहकर फिर से पृथ्वी को प्राप्त कर लेता है। "जो कमजोर आदमी अभिमान में आकर बलवान के साथ लड़ाई लड़ता है वह शत्रु की इच्छा-पूर्ति और अपने कुल का नाश करता है। इसलिए बलवान के आक्रमण करने पर अब पीछे हटना ही ठीक है, संधि करना अथवा लड़ना नहीं।" इस तरह अनुजीवि ने पीछे हटने के संबंध में अपनी राय कही। उसे सुनकर मेघवर्ण ने प्रजीवि से कहा , "भद्र ! तुम अपने मन की बात कहो।" उसने कहा “देव ! मुझे संधि,लड़ाई अथवा पीछे हटना, ये तीनों नहीं भाते । पर आसन मुझे ठीक लगता है। कहा भी है कि "अपने स्थान में रहकर मगर बड़े हाथी को भी खींच लेता है, ___ पर वही अपने स्थान से च्युत होने पर कुत्ते से हराया जाता है। और भी "बलवान के आक्रमण करने पर यत्नशील को दुर्ग में रहना चाहिए, और वहां रहकर अपनी मुक्ति के लिए मित्रों को बुलाना चाहिए। "शत्रु का आगमन सुनकर डरे मन से जो अपनी जगह छोड़ देता है, वह आदमी फिर वहां बस नहीं सकता । "दांत के बिना सांप और मद के बिना हाथी की तरह बिना जगह के राजा, ये सबके लिब सुलभ हैं ।
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy