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मित्र-भेद
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धर्मबुद्धि को धन की चोरी के लिए शास्त्रानुसार योग्य दंड देने का विचार कर ही रहे थे इतने में धर्मबुद्धि ने शमी वृक्ष के खोखले के आसपास सुलगने वाली चीजें इकट्ठी करके आग लगा दी । शमी के खोखले के जलने से अधरोता - चिल्लाता
जले शरीर तथा फूटी आंखों वाला पापबुद्धि का पिता बाहर निकला । बाद में सबने पूछा तो उसने पापबुद्धि का सब हाल उन्हें बतला दिया । अन्त में अधिकारियों ने पापबुद्धि को शमी वृक्ष की शाखा से लटका दिया और धर्मबुद्धि की प्रशंसा करते हुए इस तरह बोले, "अरे यह ठीक कहा है-
विघ्नों का विचार करना कि नेवले ने दूसरे बगलों
"बुद्धिशाली मनुष्य को उपाय तथा चाहिए । मूर्ख बगला देखता ही रहा को मार डाला ।
धर्मबुद्धि ने कहा, "यह कैसे ?" वे कहने लगे
बगला, काले सांप और नेवले की कथा
"किसी वन में बहुत से बगलों से भरा हुआ एक बड़ का पेड़ था । उसके खोखले में एक काला सांप रहता था। वह बिना पंख के छोटे-छोटे बगलों के बच्चों को खाकर अपना जीवन-यापन करता था । अपने बच्चों के खाये जाने के दुःख से दुखी एक बगला तालाब के किनारे आकर आंसुओं से भरी आंखों के साथ नीचा मुंह करके खड़ा हो गया । उसका ऐसा व्यवहार देखकर एक केकड़े ने कहा, “मामा! तुम किसलिए आज इस तरह रो रहे हो ? " वह बोला, “भद्र ! मैं क्या करूं? वृक्ष में रहने वाला सर्प मुझ अभागे के बालक खा गया है, उसी दुःख से दुखी हूं। अगर इस सांप के मारने का कोई उपाय हो तो मुझ से कहो ।" यह सुनकर केकड़ा विचार करने लगा, “यह बगला तो हमारा सहज शत्रु है, इसलिए उसे ऐसा सच्चा झूठा उपदेश दूंगा जिससे दूसरे सब बगले भी मारे जायं । कहा है कि
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" मक्खन जैसी कोमल वाणी बनाकर और हृदय को निर्दय बना कर शत्रु को ऐसा उपदेश करना चाहिए कि वंशसहित उसका