________________
२२. विक्षेप
७६४
७. भाव निक्षेप
उसमे उपयुक्त है उसे (उस जीव सामान्य को) आगम भाव मगल कहते है ।"
(स सि १।५।५१) (रा. चा १।५।१०।२६) (गो. क । । ६५) (वृ न च । २७६)
३. नो आगम भाव निक्षेप१ घ.।पु१।पृ-२९।२२ "नो आगम भाव मंगल, उपयुक्त और तत्प
रिणत के भेद से दो प्रकार है। ३.
उपयुक्त नो आगमः--जो आगम के बिना ही मगल के अर्थ मे उपयुक्त है उसे उपयुक्त नो आगम भाव मगल कहते है।
तत्परिणत नो आगम-मंगल रूप पर्याय अर्थात जिनेन्द्र देव आदि की वन्दना, भाव स्तुति आदि मे परिणत जीव को तत्परिणत नो आगम भाव मगल कहते हैं।" २ स सि ।१।५।५२ "जीवन पर्यायेण मनुष्य जीवत्वपर्यायेण वा
समाविष्ट आत्मा नो आगम भावजीव ।"
अर्थ-जीवन पर्याय से युक्त या मनुष्य जीवन पर्याय से युक्त
आत्मा नो आगम भाव जीव या नो आगम भाव मनुष्य कहलाता है ।
(रा वा ।१।५।११।२६) वृ न च ।२७७)
३ गोक ।मू ।६६ 'नो आगम भावः पुनः कर्म फल भुजमान को
जीवः ।--1६६।"
अर्थः-कर्म के उदय फल को भोगने वाला जीव नो आगम भाव
कर्म है।