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________________ २२. निक्षेप ७५३ ६. द्रव्य निक्षेप उसी जीव का शरीर भी उपचार से सामायिक का ज्ञाता कहा जा सकता है । सो वह नो आगम-द्रव्य-निक्षेप का विषय है । या यो कहिये कि वर्तमान उपयोग रहित आगम के ज्ञाता जीव को 'ज्ञाता' कहना तो आगम- द्रव्य - निक्षेप है और उसके शरीर को ज्ञाता कहना नो आगम- द्रव्य - निक्षेप है । आगम या नो आगम तो इसलिये है कि जीव या जीव का शरीर है, और द्रव्य निक्षेप इसलिये है कि वर्तमान मे उपयोग रहित है, पर भूत व भविष्यत मे उसकी सम्भावना अवश्य है । आगम-द्रव्य-निक्षेप के उपयोग की सम्भावना की अपेक्षा, तीन भेद हो जाते है- भूत, वर्तमान व भावि । पहिले कभी उपयोग कर चुका है उस जीव को वर्तमान मे 'ज्ञाता कहना भूत आगम द्रव्य निक्षेप है । वर्तमान मे साक्षात् रूप से तो उपयोग नही है परन्तु करने की तैयारी कर रहा है, उस जीव को वर्तमान मे ज्ञाता कहना वर्तमान आगम द्रव्य निक्षेप है । इसी प्रकार जो भविष्यत काल मे उपयोग करेगा ऐसे जीव को वर्तमान मे 'ज्ञाता' कहना भावि आगम - द्रव्यनिज्ञेप है । नो आगम द्रव्य निक्षेप के मूल मे तीन भेद किये जा सकत े हैज्ञायक शरीर, भव्य व तद्वयतिरिक्त । वर्तमान अनुपयुक्त ज्ञाता के भूत वर्तमान व भावि शरीरो को 'ज्ञाता' कहना ज्ञायक शरीर नो आगम है । वर्तमान में तो ज्ञाता नही परन्तु आगे ज्ञाता होने वाला है ऐसे भावि ज्ञाता के वर्तमान शरीर को ज्ञाता कहना भव्य नो आगम है । भावि-ज्ञायक- शरीर-नो आगम और भव्य नो आगम में इतना अन्तर है कि पहिले मे तो जीव वर्तमान मे ज्ञाता है, परन्तु उसका शरीर भावि है और दूसरे मे वह जीव भविप्यत काल मे ज्ञाता होगा अर्थात जीव तो भावि ज्ञाता है और उसका शरीर वर्तमान है । तीसरा भेद तयतिरिक्त है, अर्थात ज्ञाता जीव व उसके शरीर से अतिरिक्त 1
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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