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________________ २१. अन्य अनेको नय ७२६ २. सर्व नयो का मूल नयों मे अन्तर्भाव ११ अविकल्प नय -- "आत्मद्रव्य अविकल्प नय से एक पुरुष मात्र की भाति अविकल्प है । यह लक्षण अभेद द्रव्य को ग्रहण करने के कारण आगम पद्धति के 'भेद निरपेक्ष शुद्ध द्रव्यार्थिक व संग्रह' नय मे तथा अध्यात्म पद्धति के 'शुद्ध निश्चय' नय मे गर्भित होता है । १२. नाम नय -- 'आत्मद्रव्य नाम नय से नाम वाले की भांति शब्द ब्रह्म को स्पर्श करने वाला है।" यह लक्षण, वाच्य वाचक द्वत को ग्रहण करने के कारण आगम पद्धति के 'अशुद्ध द्रव्यार्थिक व्यवहार' नय मे तथा अध्यातम पद्धति के व्यवहार सामान्य नय मे गर्भित होता है। पर्याय रूप शब्द को विषय करने के कारण आगम पद्धति के 'पर्यायार्थिक व शब्द नय' मे तथा अध्यात्म पद्धति के 'व्यवहार' नय मे गर्भित होता है। (देखो अध्याय न० २२ प्रकरण न०८) १३ स्थापना नय-- "आत्मद्रव्य स्थापना नय से मूर्तिमान की भांति सर्व पुद्गलो का अवलम्बन करने वाला है।" दो द्रव्यो मे अद्वैत करने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति के 'अशुद्ध द्रव्यार्थिक व व्यवहार नय' मे तथा अध्यात्म पद्धति के 'अंसद्भूत व्यवहार' नय मे गर्भित होता है। (देखो अध्याय न० २२ प्रकरण न ० ८) १४. द्रव्य नयः "आत्मद्रव्य नय से बालक सेठ की भाति और श्रमण राजा की भाति अनागत व अतीत पर्याय प्रति भासी है।" आगे पीछे की पर्यायों मे एकत्व का ग्रहण करने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति के
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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