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२१. अन्य अनेको नय
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१. नयो असख्याते भेद
३९ अकर्तृ नय, ४० भोक्तु नय, ४१ अभोक्तु नय, ४२ क्रिया नय, ४३ ज्ञान नय, ४४ व्यवहार नय, ४५ निश्चय नय, ४६ अशुद्ध नय, ४७ शुद्ध नय ।
१३. वास्तव मे जितने प्रकार के वचन विकल्प हे उतने ही नय हो सकते है । वचन यद्यपि सख्यात मात्र ही है, परन्तु उन वचनों सम्बन्धी मानसिक विकल्प असख्यात तक होने सम्भव है। अतः नय के भी असख्यात पर्यन्त भेद किये जा सकते है ।
4. पु.११.१६ "एवमेतेन संज्ञेयेण नयाः सप्त विधा । अवान्तर
भेदेन पुनरसख्येया.।"
अर्थ ---इस प्रकार सक्षेप से यह सात प्रकार । अवान्तर भेद से
यही असख्यात होते है।
ध।पु१।१८०1 “जीवदिया वयणवहा तावदिया चेव होति गयवादा गा६७ जावदिया वयणवहा तावदिया चेव होति पर समया ।।" अर्थ-जितने भी वचन पथ है उतने ही नय वाद होते है, और
जितने नयवाद है उतने ही परसमय या मिथ्यात्व होते है।
(गो काम्।८६४) (बृ.न च।१८४) (क पा ।पुऽ।पृ२४५।गा. ६३) (धापु. पृ।१८२।गा ५८) |
इन सब भेद प्रभेदो का परस्पर संयोग अगले चार्टो पर से पढा जा सकता है।