________________
१६. द्रवयार्थिक नय सामान्य ४६७
७ द्रव्यार्थिक नय
दशक परिचय करने वाले द्रव्यार्थिक नय के भी दो भेद हो गये-श द्ध द्रव्यार्थिक व अश द्ध द्रव्यार्थिक । तहां महा-सत्ता या अवान्तर-सत्ता भूत पदार्थो में विशेष निरपेक्ष एक निर्विकल्प सत्ता सामान्य को ग्रहण करने वाला शुद्ध द्रव्यार्थिक नय है और विशेष सापेक्ष एक सविकल्प सत्ता समान्य को ग्रहण करने वाला अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय है । यद्यपि द्रव्य क्षेत्र काल व भाव इन चारों की पृथक पृथक अपेक्षा लेकर, उन दोनों ही नयों के यथा योग्य अनेकों लक्षण करके, उनके विषय को स्पष्ट करने का प्रयत्न किया गया है, परन्तु भेदाभेदात्मक वह वस्तु अब तक भी एक समस्या ही बनी हुई है, ऐसा प्रतीत होता है । अतः उन्ही लक्षणों को कुछ और विशदता की आवश्यकता है । शुद्ध व अशुद्ध द्रव्यार्थिक नयों के पूर्वोक्त अनेको लक्षणो को अत्यन्त विशद बनाने के लिये ही इस नय दशक का जन्म हुआ है। 'नय सामान्य' नाम के ९ वें अधिकार के अन्त मे दिये गये नय चार्ट मे आगम की इन दश द्रव्यार्थिक नयों का नामोल्लेख किया जा चुका है ।
वास्तव मे द्रव्यार्थिक नय दशक की अपनो कोई स्वतत्र सत्ता नही. है । ये दशों भेद उन्ही शुद्ध व अशुद्ध द्रव्यार्थिक के पूर्वोक्त लक्षणो मे गर्भित हो जाते है । अन्तर केवल इतना है कि वहां उनका रूप सक्षिप्त था और यहा कुछ विस्तृत है। जैसाकि पहिले अनेकों बार बताया जा चुका है, वस्तु द्रव्य, क्षेत्र, काल व भाव इस चतुष्टय से गुम्फित है। बस इस नय दशक की स्थापना का मूल आधार वस्तु का यह चतुष्टय ही है। वह किस प्रकार सो ही दर्शाता हूँ।
___ यह नय दशक पाच युगलों में विभाजित है-'स्व चतुष्टय ग्राहक व पर चतुष्टय ग्राहक' यह प्रथम युगल है; 'भेद निरपेक्ष द्रव्य ग्राहक और भेद साक्षेप द्रव्य ग्राहक' यह दूसरा युगल है,