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________________ १२. नैगम नय २०५६ द्रव्य पर्याय नैगम नय १. द्रव्य पर्याय नैगम नय सामान्य --- द्रव्य के लक्षण व स्वभाव पर से द्रव्य का सकल्प करने वाले नय को द्रव्य नैगम कहते है, और इसी प्रकार एक गुण की पर्याय पर से अन्य गुण की पर्याय का सकल्प करने वाले नय का नाम पर्याय नैगम नय है । दोनो का सम्मेल करने पर, द्रव्य सामान्य पर से पर्याय के समान्य स्वभाव का सकल्प करने वाले अथवा पर्याय के दृप्ट रूप पर से अदृष्ट द्रव्य का सकल्प करने वालेउभयात्मक नय का नाम द्रव्य पर्याय नैगम नय है । उदाहरण आगे यथा स्थान दे दिये जायेगे। अब इसकी पुष्टि व अभ्यास के लिये कुछ आगमोक्त वाक्य उद्धृत करता हूं। १ क. पा. पु. १।पृ २४५।१ "द्रव्याथिकनयविषय पर्यायाथिक नयविषयञ्च प्रतिपन्न. द्रव्यपर्यायाथिक नैगमः।” अर्थ-द्रव्याथिक व पर्यायाथिक इन दोनो नयो के विषय को उभय रूप से युगपत स्वीकार करने वाला नय द्रव्यपर्याय नैगमनय है। २ ध. (पु. ६। पृ. १८१।३ "द्रव्य पर्यायाथिक नयद्वयविषय नैगमो दृदजः।" अर्थ--द्रव्याथिक और पर्यायाथिक दोनो नयो के विषय को ग्रहण ___ करने वाला द्वदज अर्थात द्रव्यपर्याय नैगम है । ज्ञान के आकारो मे मात्र सकल्प के आधार पर द्रव्य व पर्याय दोनों मे परस्पर मुख्य गौण व्यावस्था द्वारा, द्वैताद्वैत देखने के कारण इस नय का 'द्रव्य पर्याय नैगम' ऐसा नाम सार्थक है। यह इस नय का कारण है । सत्ता के नित्यानित्य स्वभाव सामान्य
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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