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________________ १० मुख्य गौण व्यवस्था २०५ ३. किस को मुख्य किया जाये करते हुए दिखाई देगे। किसको मुख्य कहे व किसको गौण ? वहा तो दोनों ही युगपत समान रीति से प्रकाशित हो रहे है। कोई भी दबा हुआ या भूला हुआ नही है । इसलिये वस्तु या प्रमाण ज्ञान मे तो दोनो ही मुख्य है । इसीलिये वस्तु व प्रमाण ज्ञान दोनों को निर्विकल्प कहा गया है । यह दोनो ही नय के विकल्पों से अतीत है। मुख्य गौण व्यवस्था नय मे होती है, वस्तु व प्रमाण मे नही । इसी से नय को सविकल्प या सम्यक् श्रुत ज्ञान का विकल्प कहते है। __ वस्तु को जानते समय या अनुभव करते समय तो कोई विकल्प उत्पन्न नही हुआ करता। जैसेकि सरलता से जीरे के पानी को जानने वाले उस वक्ता को, श्रोता के सम्पर्क में आने से पहिले तत्सम्बन्धी कोई विकल्प नहीं था । वह जीरे का पानी उसके ज्ञान मे चित्रित रूप से केवल पड़ा मात्र था । हां वही वस्तु जब किसी को बतानी या सुनानी अभीष्ट हो, या उस वस्तु के अङ्गो की विशेषता पर विचार करना अभीष्ट हो, तब अवश्य उसके विशेषण व विशेष्यों मे मुख्य गौण व्यवस्था के विकल्य उत्पन्न हो जाते है । क्योकि ऐसा किये बिना वह प्रयोजन सिद्ध होना असम्भव है। किसी विशेषण को मुख्य करके ही बताया जा सकता है, किसी विशेषण को मुख्य करके ही जाना जा सकता है तथा किसी विशेषण को मुख्य करके ही वस्तु की विशेषता पर विचार किया जा सकता है। ___ बताने या विचारने का विकल्प आने पर भी, विशेषण व विशेष दोनो मे किस को मुख्य किया जाये व किस को गौण, यह नियम बान्धा नही जा सकता । प्रयोजन वश दोनो मे से किसी को मुख्य किया जा सकता है और किसी को भी गौण । यही आगे स्पष्ट किया जाता है। पहिले यह देखना होगा कि मुख्य गौण करने का विकल्प केसे अवसरों पर उत्पन्न हुआ करता है। सो कह सकते है कि मुख्यतः तीन अवसरों पर उत्पन्न हुआ करता है।
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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