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१० मुख्य गौण व्यवस्था २०११ मुख्य गौण व्यवस्था
का अर्थ बस इसे ही गौण मुख्य व्यवस्था कहते है । याद करके भी कुछ देर के लिये भूल जाने को गौण करना कहते है, सर्वथा या सर्वदा के लिये भूल जाने को नही । जिस प्रकार कि दृष्टान्त मे जीरे का पानी का स्वाद जानते हुए भी श्रोता ने भले नमक आदि का पृथक पृथक स्वाद थोड़ी देर के लिये ध्यान से ओझल कर दिया हो, पर ज्ञान से उसे धो डालना उसके लिये सम्भव नही है, हा थोड़ी देर के लिये दृष्टि से ओझल अवश्य किया जा सकता है, अर्थात उस समय तक वह विचारणाओ मे न आ सके, इस प्रकार उसे दबाया अवश्य जा सकता है । बस इसी प्रकार विचारणाओ मे कुछ देर के लिये दबा देने को गौण करना कहते है, ओर उतनी देर के लिये विचारणाओ को किसी एक विषय पर केन्द्रित करने को, उस विषय को मुख्य करना कहते है । यहा भी मुख्य का अर्थ सर्वथा या सर्वदा के लिये उसे ही विचारणाओं का आधार बनाना नहीं, बल्कि केवल उतने मात्र अन्तराल के लिये बनाना है जितने मे कि उपरोक्त बात को गौण करके दबाया गया है । किसी अन्य समय मे सम्भव है कि और कोई नया ही अग विचारणा मे मुख्य हो जाये, या वही अंग मुख्य हो जाये जिसे कि अब गौण किया गया है । जेसै की इस बातत्रीत का क्रम समाप्त होने पर, यदि श्रोता से आप नमक का स्वाद पूछे, तो तुरन्त पुनः उसकी विचारणाये नमक पर जा लगती है, और जीरे के पानी को भूल जाती है । इसी प्रकार सर्वत्र समझना ।
यद्यपि यहा दृष्टान्त मे अंगों या विशेषणों को गौण तथा अगी व विशेप्य जो द्रव्य या पदार्थ उसे मुख्य करके दर्शाया गया है । पर इसका यह अर्थ नही कि मुख्य गौण व्यवस्था का अर्थ विशेषण को गौण व विशेष को मुख्य करना ही है। बल्कि प्रयोजन वश कभी अगो या विशेषणो को मुख्य और विशेष या पदार्थ को गौण भी किया जा सकता है।