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८ सप्त भगी
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७ सात भगो की सार्थकता
हो जाने पर वास्तविक त्रि सयोगी श्रेणी मे कदाचित प्रवेश पा जाता है।
अस्ति अवक्तव्य व नास्ति अवक्तव्य वाली द्वि सयोगी दो श्रेणियो ने यद्यपि 'अवक्तव्य" ऐसी बात सुनी है और अनुसधान के उपाय भी सुने है पर पूर्ण वक्तव्य अग के भान बिना वह उनका सारा ज्ञान निष्फल है । क्योकि ऐसी अवस्था मे वे यदि अनुसधान भी करने लगे तो अन्धकार मे इधर उधर हाथ पाव मारने के अतिरिक्त और कर ही क्या सकेगे ?
इतनी बातो को अन्तर मे धारण करके ही वे ज्ञानी वक्ता विव७.सात भंगो की क्षित विषय को प्रारम्भ करने से पहिले, उस ___ सार्थकता अनिष्णात जिज्ञासु श्रोता को इस प्रकार समझाता है कि “भो भव्य ! मै तुम्हे वह दुलर्भ तत्व अवश्य बताऊंगा, परन्तु एक वचन मुझको देना होगा । वह यह कि सम्पूर्ण व्याख्यान व अनुसधान को पूरा किये बिना इसे बीच में न छोड़ना । यदि तेरा क्षयोपशम अधिक है तो शीघ्र ही तू उस तत्व को जान जायेगा। परन्तु यदि क्षयोपशम हीन है तो अधिक समय लगेगा। इससे निराश मत होना, साहस मत छोडना, तथा इससे पहिले अनेक व्यक्तियो ने जो अधूरी बातों मात्र का ग्रहण किया हुआ है, वे यदि अभिमान वश तुझसे विवाद करने लगे तो उनसे विवाद मत करना । तथा उन्ही छ श्रेणियो मे से किसी व्यक्ति के द्वारा की हुई किसी शका को निवारण करने में असमर्थ रहो तो भी इस व्याख्या पर अविश्वास न करना । तथा वचन द्वारा क्रम से कहे जाने वाले इन अस्ति नास्ति व अवक्तव्य अगो का ज्ञान मे क्रम न रखना। इन सबको एक रस रूप करके युगपत अनेकान्तात्मक वस्तु स्वरूप को ही ग्रहण करने का प्रयन्त करना । इस प्रकार तुम अवश्यमेव अन्त मे सातवी श्रेणी मे प्रवेश करके इस तत्व के वास्तविक ज्ञाता हो जाओगे ?"