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का स्मरण करते हुए शांतचित्त से आपका स्वर्गवास हो गया । अमरिका मे ही १ मई को आपके शरीर का दाह संस्कार कर दिया गया। केवल ४२ वर्ष की उम्र मे ३० वर्ष तक साथ रहने वाली अपनी परमप्रिय सहधर्मिणी पत्नी के इस वियोग से भेया साहब राजकुमारसिहजी को व समस्त परिवार को महान दु.ख होना स्वाभाविक था । ससार मे अधिक से अधिक जो उपचार हो सकता था, तत्परतापूर्वक करने में कोई बाकी नही रखा और बम्बई मे व विदेश मे एक क्षण के लिए भी नही छोड़ा और अपना कर्त्तव्य निभाया परन्तु भवितव्य दुर्निवार है । दाम्पत्य जीवन और पति-पत्नी के प्रेम का यह अनुकरणीय उदाहरण है जिसके परिणामस्वरूप भेया साहब ने उस समय अपनी ४४ वर्ष की उम्र होने पर भी दूसरे विवाह का विचार तक नहीं किया । ___ श्री दि. जैन महिला समाज इन्दौर की ओर से श्री सौ. प्रेमकुमारी के स्वर्गवास पर शोक सभा हुई थी तथा बाहर से सैकड़ों स्थानो पर गोक सभा एव शोक सवेदना सूचकतार व पत्रो द्वारा शोक सतप्त परिवार के प्रति हार्दिक सहानुभूति प्रकट की गई थी। आपकी तेरहवी के उठावने के निमित्त से कोई जाति भोज नहीं किया गया था।
आपके नाम से कई वर्षो से श्री शातिलाथ दि. जैन जिनालय, सर हुकमचद मार्ग, इन्दौर मे सौ. प्रेमकुमारी दि जैन ज्ञानवर्द्धिनी पाठगाला स्थापित है।
श्री पूज्य क्षुल्लक जिनेन्द्रकुमारजी ने इन्दौर मे पधारकर इन्द्रभवन मे नयो के विषय मे वोधपूर्ण प्रवचन देकर उन्हे लिपिवद्ध कर दिया था । श्रीमत सेट राजकुमारजी साहव ने उस रचना को प्रस्तुत ग्रथ 'नयदर्पण' के दो भागो मे अपनी स्वर्गस्थ धर्मपत्नी की स्मृति में प्रकाशित करा दिया है और उसे श्री स हु दि जैन पारमार्थिक सस्थाएं इन्दौर को भेट कर दिया है जिसकी आय से आगे प्रकाशन होता रहेगा।