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साहुजीकी दान घोषणा
४८० पांच हजार रुपयेका वार्षिक घाटा रहता है। सुनकर उन्होंने कहा कि हम सदाके लिए इसकी पूर्ति कर देंगे। अनन्तर बनारस विद्यालयके भवन गिर जानेकी बात आई तो बोले कि हम सन्मति निकेतनमें इसके लिये दूसरा भवन बनवा देंगे। यह सब कह चुकनेके वाद उन्होंने आग्रह किया कि आपका शरीर अत्यन्त जर्जर है। न जाने कब क्या हो जाय ? इसलिये आप सम्मेदशिखर जीसे दूर न जावें । गिरीडीह, ईसरी तथा इसीके आस पास रहे तो उत्तम हो। मैंने कहा- अच्छा है।
राजगृही जाना स्थगित हो गया तथा कुछ स्वस्थ होने पर ईसरो आ गया। ईसरीमें दिनचर्या पूर्ववत् चलने लगी।