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________________ भगवई सुत्त गोयमा! छप्पएसिए खंधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव छव्विहा वि कज्जइ। दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा दो तिपएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, गयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ दो परमाणपोग्गला, एगयओ दो दुप्पएसिया खंधा भवंति । पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ । छहा कज्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति । सत्त भंते ! परमाणुपोग्गला, पुच्छा। गोयमा! सत्तपएसिए खंधे भवइ; से भिज्जमाणे दुहा वि जाव सत्तहा वि कज्जइ । दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दुप्पसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ तिप्पएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ। चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति | पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति। छहा कज्जमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ। सत्तहा कज्जमाणे सत्त परमाणुपोग्गला भवंति । अट्ठ भंते! परमाणुपोग्गला, पुच्छा । गोयमा! अट्ठपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव सतहा वि कज्जइ। दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दपएसिए खंधे, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा दो चउप्पएसिया खंधा भवंति। तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला भवंति, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुप्पएसिए खंधे एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ, अहवा 317
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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