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भगवई सुत्त गोयमा ! अण्णयरेसु अणाभिओगिएसु देवलोएसु देवत्ताए उववज्जइ || सेवं भंते! सेवं भंते!॥ इत्थी असी पडागा, जण्णोवइए य होइ बोधव्वे, पल्हत्थिय पलियंके, अभिओग कुव्वणा माई |
॥ पंचमो उद्देशो समत्तो ॥
छट्ठो उद्देसो
अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउव्विय- लखीए विभंगणाणलखीए वाणारसिं णयरिं समोहए, समोहणित्ता रायगिहे णयरे रूवाइं जाणइ, पासइ ? हंता, जाणइ पासइ।
से भंते ! कि तहाभावं जाणइ पासइ, अण्णहाभावं जाणइ पासइ ? गोयमा! णो तहाभावं जाणइ पासइ, अण्णहाभावं जाणइ पासइ ।
से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ- णो तहाभावं जाणइ पासइ, अण्णहाभावं जाणइ पासइ ?
मा ! तस्स णं एवं भवड- एवं खल अहं रायगिहे णयरे समोहए. समोहणित्ता वाणारसीए णयरीए रूवाइं जाणामि पासामि; से से दंसणे विवच्चासे भवइ, से तेणद्वेणं जाव पासइ ।
अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए जाव रायगिहे णयरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए णयरीए रूवाइं जाणइ पासइ ?
हंता, जाणइ पासइ । तं चेव जाव तस्स णं एवं भवइ- एवं खलु अहं वाणारसीए णयरीए समोहए, समोहणित्ता रायगिहे णयरे रूवाइं जाणामि पासामि, से से दंसणे विवच्चासे भवइ, से तेणद्वेणं जाव अण्णहाभावं जाणइ पासइ ।
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अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउव्विय लद्धीए विभंगणाणलद्धीए वाणारसी णयरिं रायगिहं च णयरं अंतरा एग महं जणवयवग्गं समोहए, समोहणित्ता वाणारसिं णयरिं, रायगिहं च णयरं अंतरा एग महं जणवयवग्गं जाणइ पासइ ? हंता, जाणइ पासइ ।
से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ, अण्णहाभावं जाणइ पासइ ?
गोयमा ! णो तहाभावं जाणइ पासइ, अण्णहाभावं जाणइ पासइ ।
से केणद्वेणं भंते ! जाव पासइ ?
गोयमा ! तस्स खलु एवं भवइ- एस खलु वाणारसी णयरी, एस खलु रायगिहे णयरे, एस खलु अंतरा एगे महं जणवयवग्गे । णो खलु एस महं वीरिय- लद्धि वेठव्वियलद्धि विभंगणाणलद्धी;
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