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________________ ठाणांग सुत्तं चत्तारि दुहसेज्जाओ पण्णत्ताओ, तं जहातत्थ खलु इमा पढमा दुहसेज्जा- से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए णिग्गंथे पावयणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेयसमावण्णे कलुससमावण्णे णिग्गंथं पावयणं णो सद्दहइ णो पत्तियइ णो रोएइ, णिग्गंथं पावयणं असदहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे मणं उच्चावयं णियच्छइ, विणिघायमावज्जइ । पढमा दुहसेज्जा। अहावरा दोच्चा दुहसेज्जा- से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए सएणं लाभेणं णो तुस्सइ, परस्स लाभमासाएइ पीहेइ पत्थेइ अभिलसइ, परस्स लाभं आसाएमाणे पिहेमाणे पत्थेमाणे अभिलसमाणे मणं उच्चावयं णियच्छइ, विणिघातमावज्जइ । दोच्चा दुहसेज्जा | अहावरा तच्चा दुहसेज्जा- से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए दिव्वे माणुस्सए कामभोगे आसाएइ पिहेइ पत्थेइ अभिलसइ, दिव्वे माणुस्सए कामभोगे आसाएमाणे पीहेमाणे पत्थेमाणे अभिलसमाणे मणं उच्चावयं णियच्छइ, विणिघायमावज्जइ-। तच्चा दुहसेज्जा । अहावरा चउत्था दुहसेज्जा- से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तस्स णं एवं भवइ- जया णं अहमगारवासमावसामि तदा णमहं संवाहण- परिमद्दण- गायब्भंगगायुच्छोलणाई लभामि, जप्पभिई च णं अहं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तप्पभिइं च णं अहं संवाहण परिमद्दण गायब्भंग गायुच्छोलणाई णो लभामि | से णं संवाहण परिमद्दण गायब्भंग गायुच्छोलणाइं आसाएइ पीहेइ पत्थेइ अभिलसइ, से णं संवाहण परिमद्दण गायब्भंग गायुच्छोलणाई आसाएमाणे पीहेमाणे पत्थेमाणे अभिलसमाणे मणं उच्चावयं णियच्छइ, विणिघाय- मावज्जइ । चउत्था दुहसेज्जा । ५४ चत्तारि सुहसेज्जाओ पण्णत्ताओ, तं जहातत्थ खलु इमा पढमा सुहसेज्जा- से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए णिग्गंथे पावयणे णिस्संकिए णिक्कंखिए णिव्वितिगिच्छिए णो भेदसमावण्णे णो कलुस समावण्णे णिग्गंणं पावयणं सद्दहइ पत्तियइ रोएड, णिग्गंथं पावयणं सद्दहमाणे पत्तियमाणे रोएमाणे णो मणं उच्चावयं णियच्छइ, णो विणिघायमावज्जइ । पढमा सुहसेज्जा | अहावरा दोच्चा सुहसेज्जा- से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए सएणं लाभेणं तुस्सइ परस्स लाभं णो आसाएइ णो पीहेइ णो पत्थेइ णो अभिलसइ, परस्स लाभमणासाएमाणे अपीहेमाणे अपत्थेमाणे अणभिलसमाणे णो मणं उच्चावयं णियच्छइ, णो विणिघायमावज्जइ । दोच्चा सुहसेज्जा | अहावरा तच्चा सुहसेज्जा-से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए दिव्वमाणुस्सए कामभोगे णो आसाएइ णो पीहेइ णो पत्थेइ णो अभिलसइ, दिव्वमाणुस्सए कामभोगे अणासाएमाणे अपीहेमाणे अपत्थेमाणे अणभिलसमाणे णो मणं उच्चावयं णियच्छड़, णो विणिघायमावज्जइ । तच्चा सुहसेज्जा । अहावरा चउत्था सुहसेज्जा- से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तस्स णं एवं भवइ- जइ ताव अरहंता भगवंतो हट्ठा अरोगा बलिया कल्लसरीरा अण्णयराइं ओरालाइं 85
SR No.009903
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages189
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size4 MB
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