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सुयगडांग सूत्र - बीओ सुखंधो
तस्स णं रण्णो परिसा भवइ उग्गा उग्गपुत्ता, भोगा भोगपुत्ता, इक्खागा इक्खागपुत्ता, णाया णायपुत्ता, कोरव्वा कोरव्वपुत्ता, भट्टा भट्टपुत्ता, माहणा माहणपुत्ता, लेच्छई लेच्छई पुत्ता, पसत्थारो पसत्थपुत्ता, सेणावई सेणावईपुत्ता ।
तेसिं च णं एगइए सड्ढी भवइ, कामं तं समणा य माहणा य संपहारिंसु गमणाए । तत्थ अण्णयरेणं धम्मेणं पण्णत्तारो वयं इमेणं धम्मेणं पण्णवइस्सामो, से एवमायाणह भयंतारो ! जहा मे एस धम् सुयक्खाए सुपण्णत्ते भवइ ।
तं जहा- उड्ढं पायतला, अहे केसग्गमत्थगा तिरियं तयपरियंते जीवे । एस आयापज्जवे कसिणे। एस जीवे जीवइ, एस मए णो जीवइ । सरीरे धरमाणे धरइ, विणट्ठम्मि य णो धरइ, एतं जीवियं भवइ, आदहणाए परेहिं णिज्जइ, अगणिझामिए सरीरे कवोयवण्णाणि अट्ठीणि भवंति, आसदीपंचमा पुरिसा गामं पच्चागच्छंति । एवं असंते असंविज्जमणे ।
जेसिं तं सुयक्खायं भवइ- अण्णो भवइ जीवो, अण्णं सरीरं । तम्हा ते एवं णो विप्पडिवेदेंतिअयमाउसो ! आया दीहे इ वा हस्से इ वा परिमंडले इ वा वट्टे इ वा तसे इ वा चउरंसे इ वा छलंसे इ वा अट्ठसे इ वा आयते इ वा किण्हे इ वा णीले इ वा लोहिए इ वा हालिद्दे इ वा सुक्किले इ वा सुब्भिगंधे इ वा दुब्भिगंधे इ वा तित्ते इ वा कडुए इ वा कसाए इ वा अंबिले इ वा महुरे इ वा । कक्खडे इ वा मउए इ वा गरुए इ वा लहुए इ वा सिए इ वा उसिणे इ वाणिद्धे इ वा लुक्खे इ वा । एवं असंते असंविज्जमणे ।
जेसिं तं सुक्खायं भवइ- अण्णो जीवो अण्णं सरीरं, तम्हा ते णो एवं उवलभंति- से जाणामा केइ पुरिसे कोसीओ असिं अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेज्जा- अयमाउसो ! असी, अयं कोसी । एवामेव णत्थि केइ पुरिसे अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेइ- अयमाउसो ! आया, अयं सरीरे ।
से जहाणामए केइ पुरिसे मुंजाओ इसीयं अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेज्जा- अयमाउसो ! मुंजो, अयं इसीया। एवामेव णत्थि केइ पुरिसे अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेत्तारो-अयमाउसो! आया अयं सरीरे ।
से हाणामए केइ पुरिसे मंसाओ अट्ठि अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेज्जा- अयमाउसो ! मंसे, अयं अट्ठी । एवामेव णत्थि केइ पुरिसे अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेत्तारो - अयमाउसो ! आया, अयं सरीरे ।
से जहाणामए केइ पुरिसे करतलाओ आमलकं अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेज्जा-अयमाउसो ! करतले, अयं आमलए । एवामेव णत्थि केइ पुरिसे अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेत्तारोअयमाउसो ! आया, अयं सरीरे ।
से जहाणामए केइ पुरिसे दहीओ णवणीयं अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेज्जा - अयमाउसो ! णवणीयं, अयं दही । एवामेव णत्थि केइ पुरिसे अभिणिव्वट्टित्ताणं उवदंसेत्तारो- अयमाउसो ! आया, अयं सरीरे ।
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