________________
सुयगडांग सूत्र - पढमो सुखंधो २६ अण्णस्स पाणस्सिहलोइयस्स, अणुप्पियं भासइ सेवमाणे । पासत्थयं चेव कुसीलयं च णिस्सारिए होइ जहा पुलाए ॥
२७
२८
२९
३०
[
3
४
अण्णायपिंडेणऽहियासएज्जा, णो पूयणं तवसा आवहेज्जा । सद्देहिं रूवेहिं असज्जमाणे, सव्वेहिं कामेहिं विणीय गेहिं ॥ सव्वाइं संगाई अइच्च धीरे, सव्वाइं दुक्खाइं तितिक्खमाणे । अखिले अगिद्धे अणिएयचारी, अभयंकरे भिक्खू अणाविलप्पा ॥
६
भारस्स जाता मुणि भुंजएज्जा, कंखेज्ज पावस्स विवेग भिक्खू दुक्खेण पुट्ठे धुमाइएज्जा, संगामसीसे व परं दमेज्जा ॥
अवि हम्ममाणे फलगावतट्ठी, समागमं कखइ अंतगस्स । णिद्धूय कम्मं ण पवंचुवेइ, अक्खक्खए वा सगडं ॥ ति बेमि ॥
| सत्तमं उज्झयणं समत्तं ॥
२ कम्ममेगे पवेदेंति, अकम्मं वा वि सुव्वया ।
एएहिं दोहिं ठाणेहिं, जेहिं दिस्संति मच्चिया ॥
अट्ठमं अज्झयणं
वीरियं
दुहा चेयं सुक्खायं, वीरियं ति पवच्चइ |
किं
णु वीरस्स वीरत्तं, केण वीरो त्ति वुच्चइ ॥
पमायं कम्ममाहंसु, अप्पमायं तहाऽवरं । तब्भावादेसओ वा वि, बालं पंडियमेव वा ॥
सत्थमेगे सुसिक्खंति, अइवायाय पाणिणं । एगे मंते अहिज्जंति, पाणभूयविहेडिणो ॥
माइ कट्टु मायाओ, कामभोगे समारभे । हंता छेत्ता पकत्तित्ता, आयसायाणुगामिणो ॥
मणसा वयसा चेव, कायसा चेव अंतसो । आरओ परओ यावि, दुहा वि य असंजया ॥
वेराइं कुव्वइ वेरी, तओ वेरेहिं रज्जइ ।
34