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________________ आचारांग सूत्र - बीओ सुयखंधो १५ | से भिक्खू वा भिक्खुणी वा बहुसंभूयाओ ओसहीओ पेहाए तहा वि ताओ णो एवं वएज्जा, तं जहा पक्का इ वा, णीलिया इ वा, छवीया इ वा, लाइमा इ वा, भज्जिमा इ वा, बहुखज्जा इ वा । एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव भूओवघाइयं अभिक्खं णो भासेज्जा । से भिक्खू वा भिक्खुणी वा बहुसंभूयाओ ओसहीओ पेहाए तहावि एवं वएज्जा, तं जहा- रूढा इ वा बहुसंभूया इ वा थिरा इ वा ऊसढा इ वा गब्भिया इ वा पसूया इ वा ससारा इ वा । एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासेज्जा । १७ | से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जहा वेगइयाइं सद्दाइं सुणेज्जा तहावि ताई णो एवं वएज्जा, तं जहा सुसद्दे इ वा, दुसद्दे इ वा | एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव भूओवघाइयं अभिक्खं णो भासेज्जा | १८ से भिक्खू वा भिक्खूणी वा जहा वेगइयाइं सद्दाइं सुणेज्जा तहावि ताइं एवं वएज्जा, तं जहा- सुसदं सुसद्दे इ वा, दुसदं दुसद्दे इ वा। एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव अभूओवघाइयं अभिक्खं भासेज्जा। एवं रूवाइं किण्हे इ वा णीले इ वा लोहिए इ वा हालिद्दे इ वा सुक्किले इ वा गंधाइं सुब्भिगंधे इ वा दुब्भिगंधे इ वा रसाइं तित्ताणि वा कडुयाणि वा कसायाणि वा अंबिलाणि वा महराणि वा फासाइं कक्खडाणि वा मउयाणि वा गरुयाणि वा लहयाणि वा सीयाणि वा उसिणाणि वा णिद्धाणि वा रुक्खाणि वा । १९ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा वंता कोहं च माणं च मायं च लोभं च अणुवीइ णिट्ठाभासी णिसम्मभासी भासी विवेगभासी समियाए संजए भासं भासेज्जा । २० एवं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं । जं सव्वटेहिं समिए सहिए सया जएज्जासि। त्ति बेमि | || बीओ उद्देसो समत्तो || ॥ चउत्थं अज्झयणं समत्तं॥
SR No.009901
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages116
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size4 MB
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