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प्रसंगोचित आलोचना
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राजनैतिकोंने इस सशस्त्र राजकीय अत्याचारके विरोधमें जनताको जगाने तथा उससे स्वतंत्रताकी रक्षा करानेके पर्याप्त प्रयत्न किये थे । उस समयके इतिहास प्रसिद्ध वाग्मी डीमस्थनिसने स्पष्ट शब्दों में यूनानी जनताको यह सावधान वाणी सुनाई थी कि 'फिलिप सम्पूर्ण यूनानका शत्रु है । इसे राज्याधिकार मिल गया है । यदि इसे अपने उद्देश्य में सफलता मिल गई तो यह यूनानको दास बनाकर छोडेगा। यदि यूनान अपनी स्वतंत्रताकी रक्षा करना चाहे तो वह अपने पारस्परिक कलहको तो छोड दे और अपने स्वतंत्रता नामवाले जन्मसिद्ध अधिकारकी रक्षाके लिये संयुक्त न्यूह (मोरचा) बनाकर अत्याचारी राज के विरुद्ध संग्राम घोषणा करे । ' परन्तु यूनानके हितैषीको यह सावधान वाणी यूनानने नहीं सुनी और फिलिपकी हत्याके पश्चात् उसका उत्तराधिकारी सिकन्दर सेन्य सामन्तोंकी शक्ति में अपने पिता फिलिपसे भी बढ गया। उसने सैन्य सामन्तोंकी शक्तिसे शक्तिमान होकर सारे यूनानको दास बना लिया और दिग्विजयके लिये निकल पड़ा।
ग्रीक ऐतिहासिकोंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि हमारे जिस यूनानने प्रसिद्ध दार्शनिक विचारशील समाज-सेवक तथा प्रजावत्सल राजा उत्पन्न किये हैं उसीके निवासी हम लोगोंके लिये अपने यूनानको सिकन्दरके जन्मदाताके नामसे कलंकित होते देखना और इसके दुष्ट राजका कुछ न बिगार सकना बडे ही परितापका विषय है और किसी भी रूपमें वाञ्छनीय नहीं है। सिकन्दर भूमण्डलके विख्यात माततायियों में गिना जाता है। प्रभुताप्रिय रणोन्मत सिकन्दरका जीवन नृशंस हत्याओं परतन्त्रताके विरुद्ध उठ खडे होनेवाले स्वतंत्रताप्रिय विजित व्यक्तियों के अंगच्छेद भादि अमानुषिक अत्याचारों, विश्वासी मित्रों, राजनैतिक नेतामों तथा न्यायप्रिय नागरिकोंका अस्तित्व मिटा डालने के लिये सब प्रकार के पाशविक उपायोंके अवलम्बनोसे परिपूर्ण था। भू-माताको निर्दोष लोगों के रक्तोंसे रँगना तथा उसे अस्याचारियोंके आँसुओंसे सींचना उसकी मनोरंजक क्रीडा थी। वह अपने को